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जाति के जहर ने पायल को मार डाला

आरपी विशाल | फेसबुक: कितना आसान होता है किसी पर फब्तियां कसना खासकर जातिगत व्यंग्य करना किसी की जान ले लेता है. यह नए भारत का नया जातिवाद है. बदले स्वरूप में आपके समक्ष प्रस्तुत होगा. सोच वही बस तरीका नया है. डॉ रोहित वेमुला को भुला दिया था अब पायल उसी जातिवाद की भेंट चढ़ गई.

अपने ही साथ की तीन सीनियर डॉ हेमा आहूजा, डॉ भक्ति मेहर, डॉ अंकिता खंडिलवाल के जातिवादी “तानो से परेशां परेशान” डॉ पायल तड़वी ने मृत्यु को गले लगाया. वह मुंबई स्थित बीवाईएल नायर हॉस्पिटल से गायनेकोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही थी वे महाराष्ट्र के जलगांव की रहने वाली थी.

विदित हो कि यह तीनों डॉक्टर अस्पताल के सैकंड ईयर की पीजी छात्रा को उसकी जातिसूचक फब्तियां कसते थे, जिसके चलते 26 वर्षीय महिला डॉक्टर ने मौत को गले लगा लिया. डॉ. पायल ने अपने तीनों सीनियर्स डॉक्टर के खिलाफ पहले अस्पताल प्रबंधन से शिकायत भी की थी, प्रबंधन की ओर से उचित कार्रवाई न होने पर वह काफी निराश थी.

पहले तो पुलिस ने इसे जातिवादी केस मानने से इंकार कर दिया, डॉक्टर पायल के आत्महत्या करने के बाद उसके परिजनों ने भी उसकी डेड बॉडी लेने से मना कर दिया था, इस के बाद दबाव में पुलिस को आखिर में केस दर्ज ही करना पड़ा. पुलिस ने इस मामले में धारा 306 और रैगिंग एक्ट 1999 समेत अन्य धाराओं में तीन सीनियर डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज किया है.

आज आप इस जातिवाद से नहीं लड़ोगे, तो कल अपने बच्चो की लाशो को कन्धा देते नज़र आओगे. इस देश के सवर्ण मानसिकता वाले लोग इतने बेशर्म किस्म है कि उन्हें न संवेदना प्रकट होती है और न वे इससे विचलित होते हैं. उन्हें किसी दलित, शोषित के मरने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता है. उनके लिए ये मुददा ही नहीं है. वे कितने आसानी से आरक्षण को कोस देते हैं, प्रमाण पत्र का हवाला दे देते हैं. गलती युनकी नहीं है क्योंकि यह डीएनए में समा चुके जीन हैं.

आपको समझना होगा कि जातिवाद आपको हर जगह फेस करना होगा. द्रोणाचार्य अब जंगल मे नहीं यूनिवर्सिटी में मिलते हैं अब वो आपका अंगूठा नहीं काटते हैं वो आपके नम्बर काटते हैं, आपकी सीट काटते हैं, आपके करियर को काट देते हैं.

अंग्रेज यूँ ही नहीं कहते थे कि भारतीयों में न्यायिक चरित्र नहीं होता है उसके पीछे जातिवाद ही तो वजह थी. आज भी आप देखिए वही मानसिकता हर जगह भरी पड़ी है बस तरीके बदल गए हैं जिसे आप कभी समझ ही नहीं सकेंगे. आप इसलिए नहीं समझ सकते क्योंकि आपको ऐसे लोगों की पहचानने की क्षमता नहीं है.

पर डॉ पायल आपको यह कदम नहीं उठाना चाहिए था. अब लड़ना होगा लड़कर मरोगे तो इतिहास याद रखेगा. ऐसे मरोगे तो केवल समाज की संवेदना के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा. आर पी विशाल द्वारा रोषपूर्ण श्रद्धांजलि.

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