छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: बैक्टीरिया रोकनेवाला पेड़ विलुप्त!

रायपुर | एजेंसी: लगातार दोहन और प्लांटेशन के अभाव में छत्तीसगढ़ से एक और बहुउपयोगी पेड़ ‘आकाश नीम’ विलुप्ति के कगार पर है. माना तो यह भी जा रहा है कि ये विलुप्त हो चुका है. यह पेड़ एंटी-फंगस, एंटी-लार्वा और एंटी-बैक्टीरिया है. इसके बारे में कहा जाता है कि इसके प्रभाव से 20 प्रकार के बैक्टीरिया पनप ही नहीं पाते.

इसके अलावा इसकी खासियत है कि इसके पेड़ रात को ही खिलते हैं और सूर्योदय के पहले झड़ जाते हैं. संभवत: इसी कारण से इनके बीज उपलब्ध नहीं हैं. इसलिए बिलासपुर के कानन पेंडारी में इसके पौधों का रोपण कर इसके बचाने की अनोखी कवायद शुरू हो गई है. आकाश नीम का अंग्रेजी नाम इंडियन कॉर्क ट्री है. इसे आकाश चमेली के नाम से भी जाना जाता है.

कानन पेंडारी चिड़ियाघर के रेंजर व प्रभारी टी.आर. जायसवाल ने बताया कि आकाश नीम के पौधे आंध्रप्रदेश से मंगाए हैं, जिनका रोपण कानन पेंडारी में किया जा रहा है. उनका कहना था कि ये पेड़ एंडी-लार्वा, एंटी-बैक्टीरिया और एंटी-फंगस है. इसके रोपण से चिड़ियाघर में वन्य प्राणियों को होने वाली कई तरह की बीमारियों से बचाया जा सकेगा.

जायसवाल ने बताया कि चिड़ियाघर में पेड़-पौधों के कारण प्राय: नमी बनी रहती है, जिसके कारण मच्छरों का लार्वा भी होता है. लेकिन आकाशनीम एंटी वायरल एक्टीविटी के कारण मच्छरों के लार्वा को बढ़ने ही नहीं देता और उन्हें समाप्त कर देता है. ज्यादातर बीमारियों के वाहक मच्छर और मक्खी ही होते हैं. इसके साथ ही इसके प्लांटेशन के बाद चिड़ियाघर में फंगस भी नहीं पनपेंगे. नमी से ही प्राय: लार्वा पनपते हैं, लेकिन आकाशनीम के पत्ते यदि नमी वाले स्थान पर पड़ेंगे तो लार्वा अपने आप समाप्त हो जाएगा.

जायसवाल ने आकाश नीम से जुड़ी एक और महत्वपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस पेड़ के बीज ही उपलब्ध नहीं हैं. इस बारे में उन्होंने बताया कि तितली की तरह दिखने वाला एक विशेष प्रकार का तिड्डा विलुप्त हो चुका है, जिस कारण परागकण की प्रक्रिया ही नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि आकाश नीम के जड़ों से पौधे तैयार करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.

गौर करने वाली बात है कि जू प्रबंधन ने पहली बार वन्य प्राणियों को बीमारियों से बचाने दवा या कैमिकल के बजाय इस बहुपयोगी आकाश नीम के पेड़ों का रोपण शुरू किया है. फिलहाल कानन पेंडारी में इसके रोपण का कार्य जारी है. आंध्रप्रदेश से इनके पेड़ मंगाए गए हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!