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एमडीओ पर बैकफुट पर आई छत्तीसगढ़ सरकार

रायपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ सरकार कोल खदानों के एमडीओ के मुद्दे पर बैकफुट पर आ गई है. अडानी को आवंटित कोल ब्लॉक के मामले में एमडीओ यानी माइन डेवलपर कम ऑपरेटर को लेकर राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका वापस ले ली गई है.

देश भर में एमडीओ यानी माइन डेवलपर कम ऑपरेटर के बतौर निजी कंपनियों को कोयला खदान दिये गये हैं. छत्तीसगढ़ में भी पिछली सरकार ने यह काम किया था. लेकिन राज्य सरकार ने यह जानकारी सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया कि निजी कंपनी को दिये गये एमडीओ में क्या-क्या शर्तें लागू हैं.

इन दस्तावेज़ों की मांग को लेकर जब छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने आरटीआई लगाया तो भी कोई लाभ नहीं हुआ. मामला राज्य सूचना आयोग में पहुंचा.

राज्य सूचना आयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार को आदेश दिया कि वह एमडीओ की शर्तों को उपलब्ध कराये.

भूपेश बघेल एमडीओ का विरोध करते रहे हैं. उन्होंने विपक्ष में रहते हुये एमडीओ को बड़ा भ्रष्टाचार बताया था.

लेकिन सत्ता में आने के बाद भूपेश बघेल की सरकार ने राज्य सूचना आयोग के निर्देश के बाद भी एमडीओ के दस्तावेज़ उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया. नई सरकार, रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में अडानी के साथ हुये एमडीओ को छुपाने में इस हद तक जुट गई कि उसने राज्य सूचना आयोग के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी.

राज्य सरकार ने यह फ़ैसला ऐसे समय में किया था, जब संसद में कांग्रेस पार्टी के ही नेता और मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार को घेरा था. जिसके बाद केंद्र सरकार ने संसद में जवाब दिया कि एमडीओ के दस्तावेज़ सार्वजनिक किये जा सकते हैं. लेकिन केंद्र की मोदी सरकार के उलट छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड हाईकोर्ट में पहुंच गई.

राज्य सरकार के हाईकोर्ट जाने के इस फ़ैसले की देश भर में आलोचना हुई थी.

देश के जाने-माने पत्रकार परांजय गुहा ठाकुरता ने जब एक लाइव कार्यक्रम में इस मसले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल पूछा तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में कोई जानकारी होने से ही इंकार कर दिया.

अब राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपनी याचिका को वापस लेने का अनुरोध किया था. जिसे जस्टिस पी सैम कोशी की अदालत ने अपनी मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही राज्य सरकार की याचिका रद्द कर दी गई है.

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