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चिमनी हादसे के आरोपी पकड़ से बाहर

कोरबा | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के श्रम अदालत द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद भी बाल्को चिमनी हादसे के जिम्मेदार पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. उल्लेखनीय है कि बाल्को चिमनी हादसे की सुनवाई के दौरान श्रम अदालत ने पूर्व सीईओ तथा सेपको के चेयरमैन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है. दोनों इस समय देश से बाहर हैं तथा उनकी गिरफ्तारी होती नहीं दिख रही है.

उल्लेखनीय है कि कोरबा की जिला श्रम न्यायालय ने बाल्को चिमनी हादसे में इसके पूर्व सीईओ गुंजन गुप्ता तथा इसे बनाने वाली चायनीज कंपनी सेपको के चेयरमैन हाउ जुओजीन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.

गुंजन गुप्ता तथा चायनीज कंपनी सेपको के चेयरमैन हाउ जुओजीन ने सुप्रीम कोर्ट से भारत से बाहर जाने की अनुमति मांगी थी. गुंजन गुप्ता सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दी थी. उनसे तथा सेपको के इंजीनियर ल्यू जॉक्शन एवं वांग क्यूंग से एक-एक करोड़ की बैंक गारंटी जमा करवाई थी. जबकि सेपको के चेयरमैन हाउ जुओजीन के बैंक गारंटी की बात सामने ही नहीं आई है.

गुंजन गुप्ता फिलहाल अमरीका में एस्सार कंपनी में अपनी सेवा दे रहे हैं. उनके देश वापस लौटने पर ही उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. जबकि सेपको के चेयरमैन चीन में हैं. जानकारों का मानना है कि सेपको के चेयरमैन को वारंट के आधार पर वापस लाना मुश्किल है.

एक समय भोपाल गैस हादसे के लिये जिम्मेदार यूनियन कार्बाइट के प्रमुख वारेन एंडरसन के लिये भी देश में हो हल्ला होता था परन्तु वे आखिर तक भारत वापस नहीं आये तथा उनकी अमरीका में ही मृत्यु हो गई. कहीं बाल्को की चिमनी बनाने वाली चीनी कंपनी सेपको के चेयरमैन का भी वही हाल न हो.

फिलहाल कोरबा पुलिस ने मामलें की सूचना छत्तीसगढ़ के पुलिस मुख्यालय, रायपुर में दे दी है.

उल्लेखनीय है कि बाल्को में 23 सितंबर 2009 को चिमनी हादसा हुआ था जिसमें 40 ठेका श्रमिको की मौत हो गई थी.

गौरतलब है कि वेदांता-स्टारलाइट की कंपनी बालको द्वारा अवैध रुप से निर्माणाधीन 1200 मेगावाट के विद्युत इकाई की 248 मीटर उंची चिमनी 23 सितबंर 2009 को धाराशाई हो गई थी. देश के इस बड़े औद्योगिक हादसे में 40 मजदूरों की मौत हो गई थी.

साल 2009 का वो काला दिन शायद ही किसी के जेहन से भुलाया जा सकेगा. बालको चिमनी हादसे की उस शाम 40 जिदंगिया मौत के मुंह में समा गई थी. 1200 मेगावाट पावर प्लांट के लिये बनायी जा रही दो चिमनियों में से एक का काम तो पहले ही पूरा कर लिया गया था लेकिन दूसरे का काम जारी था.

रोज की तरह ही चिमनी के अलग-अलग हिस्सों में सैकड़ों मजदूर काम कर रहे थे. 23 सितंबर 2009 की शाम घड़ी का कांटा तीन बजकर पचास मिनट के पास पहुंचा था, उसी समय वेदांता-स्टरलाइट के बालको की 248 मीटर ऊंची चिमनी जमींदोज हो गई.

एक नजर चिमनी हादसे में मारे गये मजदूरों पर

प्रदेश………………जिला………………मृतक
बिहार………………छपरा ………………11
बिहार………………सिवान………………07
झारखंड………………सिमडेगा………………11
झारखंड………………गढ़वा………………03
मध्यप्रदेश………………उमरिया………………07
छत्तीसगढ़………………कोरबा………………02

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