छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: बुरगुम मुठभेड़ उलझा

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बस्तर का बुरगुम मुठभेड़ उलझ गया है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में इस पर दायर याचिका पर राज्य सरकार द्वारा पेश जवाब अब तक पुलिस द्वारा किये जा रहे जवाब से अलग है. हालांकि, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है लेकिन इससे सर्व आदिवासी समाज पुलिस के खिलाफ बस्तर में 50 से अधिक फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगा रहा है एवं हाईकोर्ट जाने की बात कर रहा है.

बुरगुम मुठभेड़ पर हाईकोर्ट में सरकार द्वारा पेश जवाब पर पुलिस के अफसर मौन साधे हुये हैं. मीडिया द्वारा फोन किये जाने पर बस्तर के पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र नारायण दाश ने न तो फोन उठाया और न ही एसएमएस का जवाब दिया.

सर्व आदिवासी समाज का दावा है कि बस्तर संभाग की विभिन्न मुठभेड़ों को लेकर आदिवासी समाज के नेता जांच कर रहे हैं. जिसमें जमीनी हकीकत पुलिस के दावे से अलग मिल रही है.

सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर का आरोप है कि बस्तर संभाग में 50 से अधिक ऐसी मुठभेड़ें ऐसी हैं जिनमें तथ्य दावों के विपरीत मिल रहे हैं. उन्होंने इन्हें फर्जी मुठभेड़ करार देते हुये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही है.

सर्व आदिवासी समाज द्वारा जारी विज्ञप्ति में बुरगुम मुठभेड़ को फर्जी बताते हुये दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की गई है.

बुरगुम मुठभेड़: कोर्ट में पलटी सरकार

27 अक्टूबर को बुरगुम मुठभेड़ पर सरकार हाईकोर्ट में पलट गई. सरकार ने कहा कि बस्तर के बुरगुम में जो दो आदिवासी युवक मारे गये थे, उनकी हत्या अज्ञात लोगों ने की थी. इस मामले में मारे गये नाबालिग युवकों के वकील सतीशचंद्र वर्मा ने कहा कि पुलिस इससे पहले लगातार यह दावा करती रही है कि उसने 24 सितंबर को बुरगुम में माओवादियों के साथ मुठभेड़ किया था और दोनों लोग उसी मुठभेड़ में मारे गये थे. पुलिस ने इस मुठभेड़ में शामिल सुरक्षाबल के जवानों को 1 लाख रुपये का इनाम भी दिया था.

इस मामले को सबसे पहले कांग्रेस विधायक देवती कर्मा ने ही 26 सितंबर को उठाया था और इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए इसकी जांच की मांग की थी. इसके बाद कांग्रेस का एक जांच दल भी घटना स्थल तक गया था और जांच रिपोर्ट में भी देवती कर्मा के आरोपों की पुष्टि हुई थी. लेकिन बाद में पुलिस ने बच्चों के परिजनों पर दबाव बनाना शुरु कर दिया था कि वे मामला वापस लें. उल्टे देवती कर्मा पर युवकों के परिजनों के अपहरण का मामला बना दिया था.

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