छत्तीसगढ़

कांग्रेस ने नहीं दी राजपरिवारों को तरजीह

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ में इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायनों में कांग्रेस के लिए अलग तरह का है. सूबे की राजनीति में कभी राजघरानों का रहा वर्चस्व इस बार पार्टी में लगभग समाप्त होता दिख रहा है.

पिछले राजनीतिक आंकड़ों को यदि देखें तो अविभाजित मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ की लगभग डेढ़ दर्जन सीटों पर राजघरानों का वर्चस्व रहता था. सूबे के राजपरिवार के प्रभाव वाली इन सीटों पर या तो राजपरिवार का ही कोई सदस्य चुनाव लड़ता था या फिर उनका कोई खास समर्थक चुनाव जीतता रहा है. पर इस बार टिकट वितरण से ही कांग्रेस ने इस भ्रम को तोड़ दिया है.

बताया जाता है कि कांग्रेस से ही राज्य के अधिकांश राजघराने जुड़े रहे हैं. राज्य में डोंगरगांव, खैरागढ़, कवर्धा, अम्बिकापुर और बसना के राजघराने मुख्य रूप से राजनीति में सक्रिय रहे हैं. राज्य गठन के समय खैरागढ़ सीट से खैरागढ़ राजघराने के सदस्य देवव्रत सिंह, कवर्धा सीट से कवर्धा राजघराने के सदस्य योगेश्वरराज सिंह, डोगरगांव से खैरागढ़ राजघराने की गीता देवी सिंह और बसना से देवेंद्र बहादुर सिंह विधानसभा के सदस्य थे.

बावजूद इसके, सूबे में इस बार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अप्रत्याशित रूप से राजघरानों से राजनितिक दूरी बनाई है. पार्टी ने खैरागढ़ सीट से देवव्रत सिंह को टिकट नहीं दिया लेकिन उनकी पसंद के व्यक्ति को पार्टी ने जरूर उम्मीदवार बना दिया है.

कवर्धा सीट से योगेश्वर सिंह की टिकट की दावेदारी को भी पार्टी ने खारिज कर दिया. कवर्धा सीट से योगेश्वर सिंह पिछला चुनाव हार गए थे. इस बार भी उन्होंने इस सीट से दावेदारी की थी. पार्टी ने उनके अनुरोध को ठुकराकर वहां से पंडरिया सीट से विधायक मोहम्मद अकबर को मैदान में उतार दिया है.

पार्टी ने सक्ति राजघराने के सुरेंद्र बहादुर सिंह के सक्ति सीट से टिकट के दावे को ठुकरा दिया. कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर सिंह ने सक्ति सीट से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं.

वर्तमान विधानसभा चुनाव में देखें तो कांग्रेस ने इस बार केवल दो राजघरानों के सदस्यों को टिकट दिया है. ये दोनों वर्तमान में भी विधायक हैं. कांग्रेस ने इस बार सर्वाधिक तरजीह अम्बिकापुर राजघराने को दी है. अम्बिकापुर से विधायक टी. एस. सिंहदेव पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं.

पार्टी ने काफी कम मत से पिछला चुनाव जीतने के बावजूद जहां फिर उन्हें मैदान में उतारा है, वहीं सरगुजा संभाग की तमाम सीटों पर उनकी पसन्द के उम्मीदवार उतारे गए हैं.

इसके अलावा पार्टी ने बसना सीट से फिर देवेंद्र कुमार सिंह को मैदान में उतारा है. बहरहाल, कांग्रेस का राज परिवारों से इस चुनाव में दूरी बनाना कितना फायदेमंद होता है या नुकसानदेह यह तो आने वाला चुनाव परिणाम ही बताएगा.

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