बिलासपुर

भूख से मौत, मौत पर राजनीति

रायपुर | बीबीसी: छत्तीसगढ़ में भूख से हुई मौतों के बाद राजनीति गरमा गई है. विपक्षी कांग्रेस किसी भी तरह से इस मुद्दे को हाथ से नहीं जाने देना चाहती है. उल्लेखनीय है कि देश में पहला खाद्य सुरक्षा कानून बनाने वाले छत्तीसगढ़ के पेंड्रा में एक अधेड़ की कथित रूप से भूख से हुई मौत के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति फिर से गरमा गई है.

बिलासपुर ज़िले के पेंड्रा में मरणासन्न अवस्था में पाये गये इस अधेड़ को स्थानीय लोगों ने सरकारी अस्पताल पहुंचाया था, जहां कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई.

पोस्टमॉर्टम करने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर हेमंत तंवर ने माना कि मृतक के पेट में अन्न का एक भी दाना नहीं था.

राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुये कहा, “हमने अधिकारियों से पूरी रिपोर्ट मंगाई है. मृतक के पास राशन कार्ड था या नहीं, उसके घर की स्थिति कैसी थी, उसके घर में खाद्य सामग्री थी या नहीं, इन सब बातों की जानकारी हमने मंगाई है.”

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर इस मामले में कहीं कोई लापरवाही हुई होगी तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी.

पिछले सप्ताह ही सरगुजा के नर्मदापुर इलाक़े में अपने परिजनों से भटकने वाले एक बच्चे शिवकुमार की मौत के बाद से कांग्रेस के तीन विधायक अपने समर्थकों के साथ पिछले तीन दिनों से सरगुजा ज़िले में आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं.

राजधानी रायपुर और बिलासपुर में भी लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं.

अब ताज़ा मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सरकार से इस्तीफा मांगा है.

सरगुजा में धरना दे रहे विधायकों के समर्थन में पहुंचे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा, “सरकार ने बड़ी संख्या में ग़रीबों के राशन कार्ड रद्द कर दिये हैं, रोजगार गारंटी के काम महीनों से बंद पड़े हैं, किसानों की ज़मीन छीनी जा रही है. ऐसे में भूख से मौत के लिये राज्य की सरकार पूरी तरह से ज़िम्मेवार है.”

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रशंसा देश भर में होती रही है लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद से राज्य में पीडीएस की व्यवस्था में कई परिवर्तन किये गये हैं.

पहले राज्य में एक राशन कार्ड पर 35 किलोग्राम चावल दिया जाता था, अब प्रति व्यक्ति सात किलो जा रहा है. इस बदलाव से राज्य के 29 लाख ग़रीब परिवारों को कम राशन मिल रहा है.

इसके अलावा छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने पिछले कुछ महीनों से गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को दिये जाने वाला चना, मटर और गेहूं का वितरण भी बंद कर दिया है.

छत्तीसगढ़ में पहले सामान्य वर्ग को भी रियायती दर पर राशन दिया जाता था, जिसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.

राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार होने के बाद भी राज्य को रोजगार गारंटी योजना के तहत मिलने वाली रक़म में कटौती कर दी गई है.

किसानों से हर साल खरीदे जाने वाले धान की संपूर्ण खरीदी पर भी राज्य सरकार ने रोक लगा दी है. छत्तीसगढ़ कृषक बिरादरी के आनंद मिश्रा कहते हैं, “सरकार ने गरीबों, किसानों को भुखमरी की तरफ धकेल दिया है. सरगुजा और उसके बाद बिलासपुर में भूख से हुई मौतें तो अभी शुरुआत हैं.”

उन्होंने कहा, “जो हालात हैं, उसमें आने वाले दिनों में आत्महत्या और भूख से होने वाली मौत के आंकड़े ऐसे बढ़ेंगे कि सरकार के लिये इन्हें गिनना मुश्किल होगा.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!