छत्तीसगढ़

अंतागढ़ चुनाव पर पीयूसीएल ने जताई चिंता

रायपुर | संवाददाता: अंतागढ़ उपचुनाव को लेकर छत्तीसगढ़ पीयूसीएल ने चिंता जताते हुये कहा है कि बारह में से दस प्रत्याशियों का नामांकन वापस लेना तथा कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार का रहस्यमयी तरीके से गायब होकर फिर प्रकट होने की घटनाएँ बिलकुल भी स्वाभाविक नहीं कही जा सकती हैं, विशेषकर जब हाल के विधान सभा चुनावों में बस्तर संभाग में कांग्रेस पार्टी को कई सीटें प्राप्त हुई थी.

पीयीसूएल की महासचिव और हाईकोर्ट की अधिवक्ता सुधा भारद्वाज ने एक बयान में कहा है कि जो एकमात्र प्रत्याशी अब चुनाव मैदान में बचे हैं- अम्बेडकराइट पार्टी ऑफ़ इंडिया के रूपधर पुडो – ने भी प्रेस वार्ता लेकर बताया कि उनपर अपना नाम वापस लेने के लिए बहुत दबाव बनाया जा रहा था, यहाँ तक कि उन्हें नामांकन वापस लेने की अवधि तक “भूमिगत” हो जाना पड़ा. सुधा भारद्वाज के अनुसार निष्पक्ष और मुक्त वातावरण में चुनावों का किया जाना हमारे लोकतान्त्रिक ढांचे की बुनियादी शर्त हैं परन्तु ऐसा लग रहा है कि बस्तर में सैन्यीकरण की परिस्थितियों को राजनैतिक विपक्षियों से निपटने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

अपने बयान में सुधा भारद्वाज ने कहा है कि 26 अगस्त को रायपुर में प्रेस कांफ्रेंस लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री भूपेश बघेल ने कहा कि जिन चैतराम साहू और उनकी पत्नी मंजुला को “हार्डकोर नक्सली” बताकर सरेंडर दिखाया गया है वे साधारण ग्रामीण हैं, मंजुला खाना पकाने का काम करती है. इसी प्रकार 27 अगस्त को जगदलपुर में प्रेस कांफ्रेंस लेकर आदिवासी महासभा के अध्यक्ष और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए एक ज्ञापन में कहा है कि जिन सुखदेव नाग और माँगीराम कश्यप को झीरम घाटी के आरोपी बताकर गिरफ्तार किया गया है, वे दोनों ग्रामीण भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पदाधिकारी हैं. सुखदेव नाग दरभा जनपद का चुना हुआ सदस्य है और माँगीराम टाहकवाड़ा में पार्टी ब्रांच का सचिव है. इन्हें 25 अगस्त को तोंगपाल थाना में बुलाया गया था. थानेदार के नहीं मिलने पर शाम को ये फिर थाना गए थे. अगले दिन इन्हें झीरम हमले में शामिल होने और महेंद्र कर्मा को गोली मारने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. जबकि दो बार पहले भी एनआईए ने सुखदेव नाग से पूछताछ की थी जिसमें एनआईए को कोई प्रमाण नहीं मिला था.

अपने बयान में सुधा भारद्वाज ने कहा कि 27 अगस्त को ही आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रही सोनी सोढ़ी ने जगदलपुर में वार्ता लेकर बताया कि उनकी पार्टी के एक जांच दल ने पाया है कि चिंतागुफा क्षेत्र के जिस रामाराम ग्राम में नक्सली मुठभेड़ में 11 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया गया है, वास्तव में वहां एक ग्रामीण महिला अड़मे वेट्टी फ़ोर्स के अंधाधुन्द गोलीबारी से मारी गयी जिसे गांववालों ने वहीँ दफनाया था. उसी प्रकार ग्राम बड़े गुड़रा के जिस गाली को नक्सली के नाम पर आत्मसमर्पण करवाया गया है, न केवल वह एक साधारण ग्रामीण है बल्कि उसे समर्पण का कोई लाभ देने की बजाय जेल में डाल दिया गया है.

मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की सुधा भारद्वाज ने अपने बयान में आरोप लगाया है कि कांकेर ज़िले में पिछले 6 महीनों में करीब 13 जन प्रतिनिधियों सरपंच/ जनपद सदस्य/ सचिव को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें अंतागढ़ ब्लॉक के कांग्रेस नेता बद्री गावडे भी हैं जो “रावघाट संघर्ष समिति” की भी अगुआई कर रहे थे. इन गिरफ्तारियों को स्थानीय जनता भविष्य में प्रस्तावित विभिन्न परियोजनाओं- दो बड़े अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांटों और रावघाट खदानों के संभावित विरोध से जोड़कर देख रही है.

छत्तीसगढ़ विशेष जनसुरक्षा कानून पर सरकार को नोटिस
छत्तीसगढ़ विशेष जनसुरक्षा अधिनियम की संवैधानिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. लोक स्वातंत्र्य संगठन यानी पीयूसीएल की स्पेशल लीव पेटिशन पर सुनवाई करते हुये सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया है. पीयूसीएल की ओर से जस्टिस राजिंदर सच्चर ने राज्य सरकार के इस क़ानून को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए.

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