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सरगुजा में हाथी नहीं रहे साथी

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ का सरगुजा गज आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित है.
इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि इस साल पिछले साल की तुलना में ज्यादा लोग मारे गये हैं. इतना ही नहीं, बल्कि फसलों की क्षति तथा मकानों की क्षति भी पहले की तुलना में बढ़े हैं. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गांव वासियों तथा किसानों को भुगतना पड़ता है.

सरकारी आकलन के अनुसार छत्तीसगढ़ में हाथियों की संख्या 200 से 250 के बीच है. इस साल याने 2016-17 में अब तक छत्तीसगढ़ में 69 लोग हाथियों के द्वारा मारे गये हैं जिसमें से 45 सरगुजा के हैं. जबकि पिछले साल 2015-16 में 51 लोग मारे गये थे जिसमें से 27 सरगुजा से थे. इत सरगुजा से हाथियों का आतंक बढ़ा है तथा सबसे ज्यादा मानव हानि सरगुजा संभाग में ही हुई है.

इस कारण से पिछले साल जहां जनहानि का मुआवजा 109 लाख रुपये बांटना पड़ा इस साल अब तक 185 लाख रुपयों को मुआवजा दिया जा चुका है.

दरअसल, पिछले कुछ सालों से हाथियों के प्राकृतिक रहवास की जगह जंगल में कोल ब्लॉक मिले हैं. कोयले के लिये जंगल काटे जाने तथा कोल ब्लॉक खोदे जाने के कारण जंगलों से गांवों तथा शहरों की ओर भोजन की तलाश में आ जाते हैं. जब आते हैं तो गुस्से में सामने आने वाले व्यक्ति को मार तक देते हैं.

2015-16 में 51 लोग मारे गये. 27 सरगुजा में.
*जनहानि का मुआवजा- 109 लाख रुपये
*फसल हानि का मुआवजा- 466 लाख रुपये
*मकान क्षति का मुआवजा- 201 लाख रुपये

2016-17 में अब तक 69 लोग मारे गये हैं. 45 सरगुजा में.
*जनहानि का मुआवजा- 185 लाख रुपये
*फसल हानि का मुआवजा- 312 लाख रुपये
*मकान क्षति का मुआवजा- 186 लाख रुपये

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