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छत्तीसगढ़: SECL पर 1 लाख जुर्माना

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एसईसीएल पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता तथा जस्टिस संजय अग्रवाल की डबल बेंच ने भूमि अधिग्रहण के 22 वर्ष बाद भी भू-स्वामी को मुआवजा व नौकरी न देने के कारण 1 लाख का जुर्माना लगाया है. अदालत ने प्रभावित को नौकरी देने का भी आदेश दिया है.

उल्लेखनीय है कि साल 1994 में एसईसीएल ने कोरबा के किसान प्रभात कुमार मिश्रा की जमीन अधिग्रहित की थी. किसान ने नौकरी तथा मुआवजा पाने के लिये आवेदन किया था. कोरबा के कलेक्टर ने भी नौकरी देने का आदेश दिया था. इसके बावजूद प्रभावित किसान को एसईसीएल ने नौकरी व मुआवजा नहीं दिया था.

इसके बाद प्रभावित किसान ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एकल बेंच में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया कि 1994 में एसईसीएल में भूमि अधिग्रहण करने पर मुआवजा और नौकरी देने का नियम था. एकलपीठ ने सुनवाई उपरांत एसईसीएल प्रबंधन को याचिकाकर्ता किसान को 3 माह के अंदर नौकरी देने का आदेश दिया.

एसईसीएल प्रबंधन ने एकलपीठ के आदेश के खिलाफ डबल बेंच में अपील की. अपील में कहा गया कि प्रबंधन ने किसान की जमीन 1994 में अधिग्रहित की लेकिन 2006 में उसका मुआवजा निर्धारित किया गया. 2006 में एसईसीएल में भूमि अधिग्रहण के लिए नया नियम लागू हो गया था. इसके अनुसार भू स्वामी को केवल मुआवजा दिया जाना है.

याचिका में चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजय अग्रवाल की डबल बेंच में सुनवाई हुई. डबल बेंच ने आदेश में कहा कि 1994 में जमीन का मुआवजा और नौकरी दोनों देने का प्रावधान था. एसईसीएल प्रबंधन ने मुआवजा निर्धारण में अपनी ओर से देर की है. इसमें याचिकाकर्ता की कोई गलती नहीं है.

डबल बेंच ने एसईसीएल को प्रभावित किसान को नौकरी देने का आदेश दिया है तथा 1 लाख रुपया जुर्माना लगाया है.

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