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डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर सख्ती

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर सख्ती के निर्देश दिये हैं. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि सरकारी डॉक्टर एक दिन में 3 घंटे ज्यादा प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे. छुट्टियों के दिन 5 घंटे प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं. हाईकोर्ट ने सरकारी डॉक्टरों के अन्य किसी प्राइवेट नर्सिंग होम में प्रैक्टिस करने को ‘हितो का टकराव’ मानते हुये आदेश दिया है कि सरकारी डॉक्टर अपने निजी चेंबर में ही प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं. उन्हें इस बाबत शपथ-पत्र पेश करना होगा.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा है कि सरकारी अस्पताल में आने वाले गरीब मरीजों को डॉक्टर शाम को अपने घर पर चल रहे क्लीनिक या निजी अस्पताल में आने के लिए नहीं कह सकते, जहां वे ज्यादा फीस वसूलते हैं. सरकारी अस्पताल में पैथोलैब और रेडियोलॉजी की व्यवस्था होने पर ऐसे जांच के लिए बाहर भी नहीं भेज सकते. राज्य शासन की जिम्मेदारी है कि सरकारी अस्पतालों में जरूरत के सभी उपकरण मुहैया करवायें.

हाईकोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश दिये हैं कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में बड़े बोर्ड लगवायें, जिससे वहां मुफ्त इलाज होने की जानकारी दी गई हो. साथ ही बोर्ड में यह उल्लेख होना चाहिए कि यदि कोई डॉक्टर उन्हें निजी क्लीनिक में बुलाता है तो उन्हें शिकायत करने का अधिकार है.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सभी अस्पतालों में शिकायत के लिये अलग से बॉक्स या शिकायत रजिस्टर उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिये हैं, जो मरीजों को आसानी से मिल सकें. किसी डॉक्टर के खिलाफ शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिये गये हैं.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को एक माह के भीतर अपने विभाग के प्रमुख या प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को शपथ पत्र देने के निर्देश दिये हैं.

शपथ पत्र किसे देना होगा, इसका निर्णय राज्य शासन को करना है. डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने की जगह, मरीजों से ली जाने वाली फीस की जानकारी देनी होगी. हाईकोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसियेशन से यह बताने के लिये कहां है कि इसके लिये कितनी फीस उचित हो सकती है.

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