छत्तीसगढ़बिलासपुर

सरप्लस बिजली तो अंधेरा क्यों- HC

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पूछा है कि सरप्लस बिजली होते हुये गांवों में अंधेरा क्यों है. एक याचिका पर सुनवाई करते हुये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कहा कि राज्य की 31 फीसदी आबादी आदिवासियों की है उनकी उपेक्षा क्यों की जा रही है. आदिवासी गांवों में आज भी अंधकार है, इन्हें क्यों अनदेखा किया जा रहा है. चीफ जस्टिस ने पूछा है कि बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बन चुके इस राज्य की अतिरिक्त बिजली कहां जा रही है.

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से 8 सप्ताह में शपथ-पत्र के माध्यम से जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 27 मार्च को निर्धारित की गई है. चीफ जस्टिस एवं जस्टिस संजय अग्रवाल की बेंच ने सुनवाई करते हुये राज्य शासन व मुख्य सचिव को नोटिस जारी करते हुये कहा है राज्य में सरप्लस बिजली है, आप बड़े उद्योगों को भी यहां यूनिट लगाने आमंत्रित कर रहें हैं, फिर क्या वजह है कि छत्तीसगढ़ में कई गांव आज भी अंधकार में डूबे हैं.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य शासन, मुख्य सचिव, प्रबंध संचालक पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी, प्रबंध संचालक पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी को नोटिस देकर 8 सप्ताह में लिखित में जवाब मांगा है.

गौरतलब है कि दिनेश सोनी तथा अन्य ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है कि कोरिया जिले में भरतपुर ब्लॉक के सुदूर आदिवासी गांवों में बिजली पहुंची ही नहीं है. जबकि सरगुजा संभाग में साल 2012 में टेण्डर जारी करके 1600 करोड़ का ठेका दिया गया था.

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