छत्तीसगढ़

प्रदूषण रोकने अस्थाई तालाबों में विसर्जन

रायपुर | संवाददाता: नदियों में प्रदूषण को रोकने के लिये छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने मूर्तियां प्राकृतिक मिटटी से बनाने के लिये कहा है. इसके अलावा विसर्जन के लिए अस्थायी पॉण्ड का निर्माण करके मूर्तियों का विसर्जन उस पॉण्ड में करने के लिये कहा है. जिससे नदियों और तालाबों में प्रदूषण की स्थिति नियंत्रित हो सके.

इसके लिये छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाईन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश छत्तीसगढ़ के अधिकारियों को दिए हैं.

गौरतलब है कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. उसके लिये केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाईन में कहा गया है कि मूर्तियां प्राकृतिक मिटटी से ही बनायी जाए तथा इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाए, ताकि इनके विसर्जन के समय जल प्रदूषण की स्थिति निर्मित न हो.

मूर्तियां बनाने में प्लास्टर ऑफ पेरिस एवं बेक्डक्ले के उपयोग को पूरी तरह हतोत्साहित किया जाए.

मिटटी से बनी मूर्तियों के विसर्जन से जल स्रोत्रों की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिसके फलस्वरूप न केवल जलीय जीव-जंतुओं की जान को खतरा उत्पन्न होता है, अपितु जल प्रदूषण की स्थिति भी उत्पन्न होती है.

छत्तीसगढ़ के जिला कलेक्टरों, पुलिस अधीकक्षों तथा नगर निगमों के आयुक्तों को जारी परिपत्र में यह भी कहा गया है कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाईन के अनुसार पूजा सामग्री जैसे फूल, वस्त्र, कागज एवं प्लास्टिक से बनी सजावट की वस्तुएं इत्यादि मूर्ति विसर्जन के पूर्व अलग कर ली जाए तथा इसका अपवहन उचित तरीके से किया जाए.

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कहा है कि विसर्जन स्थल पर उपयोग किए हुए फूल, कपड़े, सजावट के सामान आदि जलाए न जाएं. मूर्ति विसर्जन स्थल पर पर्याप्त घेराबंदी व सुरक्षा की व्यवस्था हो. इसकी तैयारी पहले से ही कर ली जाए. विसर्जन स्थल पर नीचे सिंथेटिक लाईनर की भी व्यवस्था की जाए.

मूर्तियों के विसर्जन के उपरांत लाईनर को विसर्जन स्थल से हटाया जाए, जिससे कि मूर्तियों के विसर्जन के पश्चात उनके अवशेष बाहर निकाला जा सके. इसी प्रकार बांस और लकड़ियों का पुनः उपयोग किया जाए. मूर्तियों की मिट्टी को भू-भराव के लिए उपयोग किया जाए.

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