छत्तीसगढ़

झीरम घाटी हमले की बरसी

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले की झीरम घाटी में नक्सली हमले में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं सहित 31 लोगों की हत्या की दूसरी बरसी 25 मई को है. इस मामले में अभी भी कई खुलासे होना बाकी हैं. वहीं अंदेशा है कि नक्सली 25, 26 या 27 मई को किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं.

क्षेत्र में माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के बड़े नेताओं के सक्रिय होने के समाचार मिले हैं. बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक एसआरपी कल्लूरी ने भी बड़े हमले की आशंका जताई है, साथ ही तीनों दिन सुरक्षा बल को विशेष सतर्क रहने के भी निर्देश दिए हैं.

25 मई, 2013 को झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले पर हमला किया था. कांग्रेस काफिले पर करीब 300 से अधिक नक्सलियों ने घेरकर गोलीबारी की थी, जिससे तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ला, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित 31 लोगों की मौत हो गई थी.

झीरम घाटी हमले में मुख्य साजिशकर्ता के गिरहबान से अभी भी जांच एजेंसी एनआईए बहुत दूर है. कांग्रेस नेताओं की हत्या की इजाजत देने वाला श्याम (जी. रेड्डी, पवन्ना रेड्डी) अभी भी पकड़ा नहीं जा सका है.

आंध्र प्रदेश निवासी श्याम साऊथ रिजनल युनिफाइड कमांड का सदस्य और दरभा डिविजनल कमेटी का इंचार्ज भी था. इसी ने सामूहिक जनसंहार की इजाजत दी थी. इसके अलावा दरभा माओवादी संभागीय कमेटी के प्रमुख सुरेंद्र, देवा और जयपाल जो इस हमले के मास्टर माइंड थे, अभी भी एनआईए की गिरफ्त से दूर हैं.

हालांकि नक्सली प्रवक्ता गुडसा उसेंडी उर्फ जीवीके प्रसाद के आत्मसमर्पण के बाद एनआईए और छत्तीसगढ़ पुलिस की टीम ने पूछताछ की है, जिसमें गुडसा उसेंडी ने स्वीकार किया था कि सुरेंद्र और जयपाल ने अन्य नक्सली काडर के सहयोग से हमले की साजिश रची थी.

उन्होंने यह भी बताया था कि एक सप्ताह पहले कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमले की योजना बनाई गई थी. हालांकि एनआईए ने इस हमले को राजनीतिक हत्या से इनकार किया है, पर अभी भी कई खुलासा होना बाकी है, जिसमें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल तथा उनके पुत्र को नक्सलियों ने पहले अपहरण किया, फिर कुछ दूर ले जाकर गोली मारी. वहीं इस घटना में कुछ लोगों को नक्सलियों द्वारा छोड़ने को लेकर भी तरह-तरह के आरोप लगे थे.

बस्तर के आईजी एसआरपी कल्लूरी के अनुसार, माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के कुछ बड़े नेता सक्रिय हैं. साथ ही ग्रामीणों की बैठक लेकर पुलिस से दूर रहने की हिदायत दी जा रही है. उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं.

आशंका को देखते हुए 25, 26, और 27 मई को बस्तर में सुरक्षा बलों को विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है.

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