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कमल विहार योजना में ग्रामीणों की याचिका खारिज

बिलासपुर | विशेष संवाददाता: रायपुर की कमल विहार योजना में सभी ग्रामीणों और भूस्वामियों की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. इस मामले में हाईकोर्ट में रायपुर विकास प्राधिकरण समेत राज्य शासन और केंद्र शासन के खिलाफ याचिका दायर की गई थी.

गौरतलब है कि 2008 में रायपुर के ग्राम नया धमतरी मार्ग और पुराना धमतरी मार्ग के मध्य ग्राम टिकरापारा, बोरियाखुर्द, डूंडा, डुमरतराई व देवपुरी के इलाके में कमल विहार इंटिग्रेटेड टाउनशिप का काम शुरु किया गया था. सरकारी दावे के अनुसार कमल विहार देश की सबसे बड़ी नगर शहर विकास योजनाओं में से एक है, जो रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा छत्तीसगढ़ की राजधानी से लगे हुए 5 गांवों में 1600 एकड़ क्षेत्र में विकसित की जा रही है. इस योजना में 5095 भूस्वामी हैं, जिनकी भागीदारी से योजना क्रियान्वित की जा रही है. लगभग 815.38 करोड़ रुपए की लागत से विकसित की जा रही योजना में आवासीय के साथ आमोद-प्रमोद, व्यावसायिक, स्वास्थ्यगत, शैक्षणिक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं.

लेकिन जब कमल विहार योजना पर काम शुरु हुआ तो छत्तीसगढ़ में अपनी तरह की इस अनूठी टाउनशिप को लेकर ढाई हजार से भी अधिक लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई.

ग्रामीणों का कहना था कि कमल विहार की योजना छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के प्रावधानों के विपरीत है. इस मामले में ग्रामीणों का तर्क था कि संबंधित ग्राम पंचायतों तथा नगर निगम से जोनल प्ला न मंगाए बिना ही नगर विकास योजना को लागू कर दिया गया जो पूरी तरह से अवैध है.

इसके बाद रायपुर विकास प्राधिकरण की इस योजना के खिलाफ अक्टूबर 2010 के बाद से योजना क्षेत्र के भूस्वामियों बालाजी रियल इस्टेट, चिन्मय बिल्डर्स, जलाराम को-ऑपरेटिव्ह हाऊसिंग सोसायटी, शशिकांत मिरानी, रविन्द्र बंजारे. बृजमोहन सिंह-रणवीर सिंह, राजेन्द्रशंकर शुक्ला-रविशंकर शुक्ला, डॉ. रजंना पांडे, विवेक चोपड़ा. विजय रजनी, श्रीमती अनिता रजनी, प्रदीप पृथवानी, श्रीमती सूरजकली गुप्ता, शिवाजी तिवारी, श्रीमती श्याम बाई, जयसिंह देवांगन, देवलाल साहू, रामजीवन विश्वकर्मा, लक्षमण प्रसाद चन्द्राकर, रमेश चन्द्र मौर्य, हेमन्त कुमार क्षत्री, पवन क्षत्री, बुलामल क्षत्री, दीपक कुमार क्षत्री, श्रीमती प्रिया क्षत्री, श्रीमती जयवंती क्षत्री व अन्य, रवेल सिंह व अन्य, अनिल पृथवानी ने कमल विहार योजना में भूअधिग्रहण और योजना की प्रक्रिया को ले कर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर करना शुरु किया था. कुल 32 लोगों ने याचिकाएं लगाई थी, जिसमें 9 याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिकाएं वापस ले ली थी और 2 अन्य याचिकाकर्ताओं ने भी अपनी याचिका वापस लेने की सहमति प्रदान कर दी थी.

इसके बाद तमाम याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई चल रही थी. सोमवार को हाईकोर्ट ने ग्रामीणों और भूस्वामियों की तमाम याचिकाओं खारिज कर दिया. इस मामले में फैसला आने के बाद रायपुर विकास प्राधिकरण ने राहत की सांस ली है.

अदालत का फैसला आने के बाद रायपुर विकास प्राधिकरण ने कहा है कि इस फैसले के बाद कमल विहार की योजना को और गति मिलेगी. कमल विहार योजना को न सिर्फ प्रदेश में वरन पूरे देश में सराहना मिली है.

इसकी अवधारणा व डिजाईन को फरवरी 2013 में हुडको द्वारा राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया था. अवार्ड देते समय भारत सरकार के सचिव ए.के मिश्रा ने छत्तीसगढ़ को आवास के क्षेत्र में इस उल्लेखनीय कार्य के लिए प्रदेश के आवास एवं पर्यावरण मंत्री श्री राजेश मूणत और प्राधिकरण के अध्यक्ष सुनील कुमार सोनी को सम्मानित करते हुए कहा था कि यह योजना पूरे देश के लिए मॉडल बनेगी. उन्होंने कहा था कि केन्द्रीय आवास मंत्रालय कमल विहार की विशेषताओं के बारे में देश भर की राज्य सरकारों को जानकारी देगा तथा इसे अपनाने वाले राज्यों को प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करेगा.

कमल विहार योजना के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कन्सलटेन्सी वैपकास लिमिटेड को यूनेस्को और पीएचडी चेम्बर्स ऑफ कामर्स व्दारा सर्वश्रेष्ठ सलाहकार संस्था हेतु वॉटर अवार्ड से सम्मानित किया गया है.

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