कांकेरछत्तीसगढ़बस्तर

लाल पानी से बंजर होते खेत

कांकेर | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ के कांकेर में खदानों के लाल पानी से खेत बर्बाद हो रहें हैं. खदान संचालकों के द्वारा बहाये जा रहे लाल पानी के कारण केतों का उत्पादन घटता जा रहा है वहीं किसानों को इसके लिये महज 5-6 सौ रुपयों का मुआवजा दे दिया जाता है. कई खेत बंजर हो गये हैं तथा ज्यादातरों का उत्पादन आधा रह गया है. कांकेर जिलें के भानुप्रतापपुर तहसील के ग्राम पंचायत कच्चे के आरीडोंगरी आयरन ओर माइंस तथा दुर्गूकोंदल तहसील के ग्राम हाहालद्दी चहचहाड़ में लौह-अयस्क की खदान को लीज में लेकर प्रबंधकों के द्वारा उत्खनन का कार्य किया जा रहा है. खदान में लौह पत्थरों को तोड़ने के लिए नियम कायदें को दरकिनार कर बारूदी धमाके किये जा रहे हैं. धमाकों से आदिवासियों के घरों की बुनियाद हिल गई है. दीवारों पर दरारें पड़ गई हैं.

यहाँ के खदानों से निकलने वाले आयरन युक्त लाल पानी को खेतों में बहाया जा रहा है. लाल पानी के कारण आदिवासी किसानों के खेत बंजर हो रहे है. खेतों में धान तथा अन्य फसल का उत्पादन दिनों दिन घटता जा रहा है.

प्रभावित किसानों ने जिला प्रशासन से लाल पानी को खेतों में बहाये जाने पर रोक लगाने की गुहार लगाई. लेकिन किसी के कान में जू तक नहीं रेंगी.

कच्चे गांव के किसान सोनसाय कुमेटी का कहना है कि खदान संचालकों के द्वारा खेतों में आयरनयुक्त लाल पानी को बहाया जा रहा है. इसकी शिकायत कई बार जिला प्रशासन से की गई, फिर भी खदान संचालकों पर कार्रवाई नहीं की गई.

सोनसाय कुमेटी कहते हैं, “लाल पानी के कारण खेतों में कुछ पैदा होना ही बंद हो रहा है. जब से इस क्षेत्र में लौह अयस्क का खदान खोला गया है, फसल के उत्पादन में भारी कमी आई है. अब आधे से भी कम उत्पादन हो रहा है.”

अमर सिंह कावड़े कहते हैं, “खदान में हो रहे धमाके के कारण कई घरों की दीवारों पर दरारें पड़ गई है. फसल खराब होने पर पांच-छह सौ रूपये का मुआवजा दिया जाता है. लेकिन मकानों को हो रहे नुकसान पर प्रशासन की ओर से कोई मुआवजा नहीं दिया जा रहा है.”

सांसद विक्रम उसेंडी कहते हैं, “लोक सभा में मैने मुद्दा उठाया था. आरीडोंगरी और हाहालद्दी खदान से निकलने वाले लाल पानी के कारण किसानों के खेत बंजर हो रहें है. दोनों खदान में हो रहे धमाके से आदिवासी और अन्य लोगों के मकानों में दरारें पड़ गई है. उनके घरों की सुरक्षा के लिए खदान संचालकों को ध्यान देना चाहिये.”

उसेंडी कहते हैं, “ग्रामीणों को मुआवजा और मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए. खदान संचालकों पर कार्रवाई भी होनी चाहिये.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!