छत्तीसगढ़

नोटबंदी: मिनी स्टील प्लांट संकट में

रायपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट संकट में हैं. पिछले दिनों बिजली बिल से परेशान होकर हड़ताल पर जाने वाले मिनी स्टील प्लांट आज वाकई में बंदी की हालत में पहुंच गये हैं. इस बार मामला नोटबंदी का है. एक ओर सरकार नगदी के संकट से निकलने के लिये डिजीटल लेन-देन पर जोर दे रही है दूसरी ओर जमीनी हकीकत यह है कि उद्योग-व्यापार ठप्प पड़े हुये हैं.

नगदी पर आधारित बाजार अर्थव्यवस्था को एक झटके में डिजीटल लेन-देन में बदलना यदि इतना ही आसान होता तो छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट संकट में नहीं पड़ते. ज्यादातर लोहे की खरीददारी नगदी में होती है. नगदी के संकट के कारण बाजार से खरीददार गायब हो गये हैं. फलस्वरूप रोजाना 60 लाख रुपयों का कारोबार करने वाले 15 से 20 लाख पर आकर अटक गये हैं.

छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट मालिकों का कहना है कि कभी करोड़ों की डील करने वाले उद्योगपति अब कुछ हजार रुपयों की डील करने लगे हैं. 22 दिनों की नोटबंदी से कारोबार 60 फीसदी तक गिर गया है. लोहा बाजार में सुस्ती छाई हुई है. सरकारी के साथ निजी निर्माण कार्य भी रुके पड़े हैं. लोकल डिमांड नहीं के बराबर हो गई है वहीं बाहरी डिमांड तो आ ही नहीं रही है.

छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट की हालत यह है कि उद्योगपतियों ने बाहर से माल मंगाना बंद कर दिया है. जिन प्लांटों में दिन में तीन-तीन शिफ्ट का काम हुआ करता था वहां एक ही शिफ्ट से काम कराया जा रहा है. जिनके तीन से चार प्लांट हैं वे एक ही प्लांट में जोर दे रहें हैं.

आखिर, मांग न होने के कारण उत्पादन करके कौन कर्जे में फंसना चाहेगा. खबर है कि बाजार की सुस्ती को देखते हुये दर्जनभर मिनी स्टील प्लांटों ने अपने बिजली कटवाने के आवेदन कर दिये हैं.

यह कहना गलत न होगा कि छत्तीसगढ़ के लोहा बाजार की कमर नोटबंदी ने तोड़ दी है. इसी के साथ इन मिनी स्टील प्लांट में काम करने वाले मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. यदि यही हालात बने रहे तो उनके यहां फांके पड़ने लगेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!