छत्तीसगढ़

बाजार से डरती है आदिवासी बाला

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की आदिवासी बाला बाघ से नहीं बाजार से डरती हैं. छत्तीसगढ़ की आबादी का 31 फीसदी आदिवासियों की है उसके बावजूद दिल्ली में छत्तीसगढ़ को माओवाद तथा निवेश के नाम से जाना जाता है. छत्तीसगढ़ में हर तीसरा व्यक्ति आदिवासी है. यह उदगार छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार सुदीप ठाकुर ने रखे. उनके कहने का तात्पर्य यह था कि आदिवासी जंगल तथा वन्य जीवों से नहीं शोषण से डरते हैं.

वाइल्ड लाइफ फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन सुबह के सत्र में संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. उन्होंने बताया कि बस्तर के 13 नंबर खदान से 78 किलोमीटर दूर में ही इंद्रावती टाइगर रिजर्व है, जबकि 1972 फॉरेस्ट एक्ट के तहत कोर बफर जोन के तहत 800 से 1000 वर्ग किमी को कोर एरिया घोषित किया गया है. बीजापुर शहर भी बफर जोन में आता है.

इस सत्र में बोलते हुए फिल्म फेस्टिवल के मुख्य अतिथि अभिनेता ओमपुरी ने कहा कि यदि शिकार का शौक है तो निहत्थे जंगल जाओ. हथियार लेकर जाने की क्या जरूरत है. उन्होंने कहा कि जंगलों तथा वन्य जीवों को बचाने के लिये सड़कों पर उतरने की जरूरत है. सरकार सड़कों पर उतरने से बात सुनती है. इसका उदाहरण उन्होंने दिल्ली के निर्भयाकांड का दिया.

छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अधिवक्ता तथा संविधान विशेषज्ञ कनक तिवारी ने कहा कि राम ने 14 साल आदिवासियों के बीच गुजारे थे. उसके बाद राम राज्य आया था. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को भी छत्तीसगढ़ को समझने के लिये आदिवासियों के बीच रहना होगा.

डॉ.एरिक भरुचा ने कहा कि जंगल हमें बहुत कुछ सिखाता है. जंगलों में केवल शेर, तेंदुआ या जंगली जानवर ही नहीं, बल्कि कई प्रकार की तितलियां, पक्षी सहित इतनी प्रजातियां हैं, जिन्हें देखकर आपको खुशी महसूस होगी. उन्होंने जंगल के महत्व पर प्रकाश डाला.

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