कोरबाछत्तीसगढ़

कोरबा खाद्यान परिवहन में 38 लाख का घपला

कोरबा | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में खाद्य परिवहन में 37.59 लाख का घोटाला सामने आया है. छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड द्वारा नमक तथा शक्कर को विकासखंडो के बेस डिपो से उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाने का कार्य जिन कंपनियों ने किया, उन्होंने सरकार को 37.59 लाख की चपत लगा दी. अफसरों की मिलीभगत से 2010-11 और 2011-12 में एक ही संस्था ने नाम बदल-बदल कर इसका ठेका लिया और अफसरों ने जाने किस दबाव और प्रलोभन में पूरे राज्य में सबसे अधिक दर पर एक ही संस्था को इसका ठेका दे दिया.

कैग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010-11 तथा 2011-12 में जनवितरण प्रणाली के खाद्यानों के परविहन की निविदा राहुल मोदी, गोपाल मोदी (मां पार्वती ट्रांसपोर्ट) तथा जय कुमार कैवर्त को दी गई. कोरबा में परिवहन का काम इन्हीं तीनों को दिया गया और मजेदार बात ये है कि इन तीनों का पंजीकृत पता, दूरभाष तथा मोबाईल नंबर एक ही था.

कैग ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि एक समान पता, फोन नंबर और मोबाइल नंबर यह सूचित करता है कि एक ही बोलीदाता विभिन्न नामों से परिचालन कर रहा था, जिसके परिणाम स्वरूप शून्य प्रतियोगिता थी. यह जानते हुये भी कि कोरबा में उच्चतर दरें प्राप्च हो रही हैं, छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड ने निविदाओं के अंतिमीकरण के दौरान बोलीदाताओं की सत्यता का परीक्षण नहीं किया, जबकि कपटपूर्ण व्यवहार के साक्ष्य विद्यमान थे.

इस घोटाले को लेकर कैग ने लिखा कि सभी बोलियों को निरस्त करने और बोलीदाताओं को काली सूची में डालने के बजाय कंपनी ने उच्चतर दरों को स्वीकार किया गया. इस प्रकार दस्तावेजों के सत्यापन में छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड की असफलता ने बोलीदाताओं को कपटपूर्ण बोली के माध्यम से उच्च दरें प्रस्तुत करने में सुविधा उपलब्ध कराई. इसके परिणामस्वरुप वर्ष 2010-11 और 2011-12 हेतु 4.84 करोड़ रुपये के अनियमित आदेश जारी किये गये, जिसके कारण 37.59 लाख का अतिरिक्त व्यय हुआ.

कैग की राय में इस मामले को प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 की धारा 19 के तहत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिये था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. इस मामले में कैग ने राज्य शासन को इस गड़बड़ी की सूचना दी लेकिन राज्य सरकार ने मामले में चुप्पी साध ली. जाहिर है, अगर पूरे मामले की जांच की जाये तो कई फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनियों के अलावा कई अफसर घोटाले में दोषी पाये जाएंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!