छत्तीसगढ़

मिलावटखोरों के हौसले बुलंद क्यों?

नई दिल्ली | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में पेट्रोल-डीजल में मिलावट तथा चोरी करने पर भी विक्रेता बच निकलते हैं. पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ में ऐसे 160 मामलें सामने आये जिसमें पेट्रोल-डीजल के विक्रेता के द्वारा कम मात्रा में पेट्रोल-डीजल दिया जा रहा था जिसमें से केवल 1 का पंप बंद कराया गया. उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा यह कार्यवाही की गई.

छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों में तथा चालू वर्ष में भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पंपो पर ऐसे 24 मामले पकड़े गये जहां कम नाप का पेट्रोल-डीजल ग्राहकों को दिया जा रहा था. इसी तरह से इसी कंपनी के पंपो पर मिलावटी पेट्रोल-डीजल बेचने के 4 मामले पकड़ में आये.

इसी तरह से छत्तीसगढ़ में हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पंपों पर ऐसे 94 मामले जांच में पकड़े गये जहां ग्राहकों को कम मात्रा में पेट्रोल-डीजल दिया जा रहा था. इसी कंपनी के पंपो पर मिलवटी पेट्रोल-डीजल बेचने का 1 मामला सामने आया है.

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पंपो में छत्तीसगढ़ में कम मात्रा में पेट्रोल-डीजल बेचने के 42 मामले पकड़ में आये.

कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों में तथा चालू वर्ष में कम मात्रा में पेट्रोल-डीजल बेचने के 160 मामले तथा मिलावटी पेट्रोल-डीजल बेचने के 5 मामले पकड़ में आये. जाहिर है कि छत्तीसगढ़ के पेट्रोल पंपो पर डीलर ग्राहकों को लूटने से बाज नहीं आ रहें हैं. जिन 160 मामलों का उल्लेख किया गया है वे सब जांच में पकड़े गये मामले हैं.

उल्लेखनीय है कि कम माप और मिलावट के सिद्ध मामलों में विपणन अनुशासन दिशा-निर्देश (एमडीजी)/डीलरशिप करार में लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान है.

गौरतलब है कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां खुदरा बिक्री केन्द्रों का नियमित और औचक निरीक्षण करती हैं तथा अपमिश्रण, कम आपूर्ति जैसी अनियमितताओं/कदाचारों में लिप्त पाए गए बिक्री केन्द्रों के खिलाफ विपणन अनुशासन दिशा-निर्देशों (एमडीजी) तथा डीलरशिप करारों के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करती हैं. एमडीजी में अपमिश्रण, सीलों से छेड़छाड़ तथा डिस्पेंसिंग यूनिट में अनाधिकृत फिटिंगों/गियरों जैसे गंभीर कदाचार के लिए पहली बार में ही बिक्री केन्द्रों को समाप्त करने की व्यवस्था है तथा अन्य कदाचारों/अनियमितताओं के लिए ग्रेडिड दंड की व्यवस्था है.

यह कहना गलत न होगा कि वास्तविक संख्या इससे कई गुना ज्यादा है.

छत्तीसगढ़ की तुलना में बिहार में कम मात्रा के पेट्रोल-डीजल बेचने के 143 मामले, मध्य प्रदेश में 362 मामले, उत्तर प्रदेश में 585 मामले, पंजाब में 242 मामले, राजस्थान में 234 मामले तथा तमिलनाडु में 257 मामले पकड़े गये.

हालांकि बिहार में 7, मध्य प्रदेश में 16, उत्तर प्रदेश में 32, पंजाब में 8, राजस्थान में 11 तथा तमिलनाडु में 5 पेट्रोल पंपो को बंद करा दिया गया है.

आकड़े गवाह है कि इन राज्यों में 3 से 5 फीसदी पेट्रोल पंपो को बंद करा दिया गया है परन्तु छत्तीसगढ़ में महज आधा फीसदी को ही सजा के तौर पर बंद कराया गया है.

इस अवधि में देशभर में कम मात्रा के पेट्रोल-डीजल बेचने के 3516 मामले सामने आये जिनमें से 160 पंपो को बंद करा दिया गया. इस तरह से कम मात्रा के पेट्रोल-डीजल बेचने वाले डीलरो की डीलरशिप रद्द करने का राष्ट्रीय आकड़ा 4.5 फीसदी का है फिर क्यों छत्तीसगढ़ में महज आधा फीसदी को सजा के तौर पर पंप बंद करा दिया गया? जाहिर है कि इससे छत्तीसगढ़ में मिलावटखोरों तथा कम मात्रा में पेट्रोल-डीजल बेचने वालों के हौसले बुलंद होंगे ही.

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