बिलासपुरविविध

वन्य जीवों की हत्या पर लाजवाब अफसर

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में वन्य जीवों की हत्या पर डीएफओ हेमंत पांडेय लाजवाब कर देते हैं. हालांकि लाजवाब थ्योरी देने वाले बिलासपुर के डीएफओ हेमंत पांडेय के कार्यकाल में वन जीवों की मौत का रिकार्ड बनता जा रहा है.

अब अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक ही स्थान पर डेढ़ दर्जन भर से अधिक बंदरों की मौत पर उन्होंने कहा है कि इन सभी बंदरों की मौत पानी के अभाव में हुई है. राज्य और देश में एक साथ, एक ही स्थान पर बंदरों की पानी के अभाव में मौत का यह अपनी तरह का पहला मामला है. मरे पाये गये सभी बंदर एक ही स्थान पर मिले हैं और वन जीवों को जानने वाले हेमंत पांडेय के इस लाजवाब कर देने वाले उत्तर से चकित हैं.

रायपुर में काम करने वाले वन जीव विशेषज्ञों का कहना है कि किसी स्थान पर एक-दो बंदरों की या किसी दूसरे जानवर की मौत पानी के अभाव में हो जाये, यह बात तो समझ में आती है लेकिन एक साथ, एक ही स्थान पर लगभग डेढ़ दर्जन बंदर मरे पाये जाएं और डीएफओ ‘डेढ़ दर्जन बंदरों की पानी के अभाव में मौत’ जैसी थ्योरी दे रहे हों तो इसे साजिश की तरह देखा जाना चाहिये.

इससे पहले भी 15 जनवरी 2014 को बिलासपुर के कानन पेंडारी में 22 मादा हिरणों की एक साथ मौत हुई थी और तब भी हेमंत पांडेय समेत तमाम अफसरों ने एंथ्रेक्स का हौव्वा खड़ा कर दिया था. उस समय भी यह सवाल उठा था कि आखिर एंथ्रेक्स के कारण केवल हिरण ही क्यों मरे और वो भी केवल मादा हिरणों की मौत क्यों हुई. जाहिर है, इसका जवाब किसी के पास नहीं था.

लेकिन एंथ्रेक्स का हौव्वा खड़ा कर के हिरणों को आनन-फानन में इस तरह दफना दिया गया कि अब उनकी कोई जांच ही नहीं हो सकती. जब हिरणों की एंथ्रेक्स से मौत की कहानी को वन जीव अनुसंधान केंद्र ने झुठा ठहरा दिया तो हेमंत पांडेय और इस ‘एंथ्रेक्स थ्योरी’ के भी संरक्षक प्रधान मुख्य वन संरक्षक रामप्रकाश ने चुप्पी साध ली. हिरण कैसे मरे, इसका जवाब हेमंत पांडेय के पास नहीं है. हालांकि इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने इन हिरणों की मौत को शिकार ठहराया था. जाहिर है, आज तक इस मामले की जिम्मेवारी तय नहीं हुई और हिरणों की तरह पूरे मामले को दफना दिया गया.

19 और 20 नवंबर को इसी कानन पेंडारी में तीन बाघ के शावकों की मौत हो गई थी. इसके बाद मार्च-अप्रैल में सिंहनी वसुंधरा के तीन बच्चों की मौत हो गई. इन सिंह शावकों की मौत को तो हेमंत पांडेय और उसके अमले ने महीने भर तक मीडिया से छुपा कर रखा. जिन शावकों के जन्म को पूरे राज्य और देश भर में प्रचारित किया गया, उनकी मौत की खबर को किन कारणों से छुपाया गया, यह बात आज तक सार्वजनिक नहीं हुई.

कानन पेंडारी में अवैध तरीके से हाथी के बच्चे को लाकर रखने और उसकी मौत का किस्सा भी अधिक पुराना नहीं है. लेकिन इस मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. छत्तीसगढ़ में प्रधान मुख्य वन संरक्षक रामप्रकाश और बिलासपुर के डीएफओ हेमंत पांडेय के कार्यकाल में जानवरों की मौत के सभी मामलों की जांच ज़रुरी है और जानकार मानते हैं कि ऐसा होने पर शिकार और जानवरों की मौत के कई राज खुल कर सामने आएंगे.

error: Content is protected !!