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छत्तीसगढ़ में चावल दाल का उत्पादन घटा

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में चावल और दाल का उत्पादन लगातार घट रहा है. चावल से लेकर दाल तक के उत्पादन में लगातार कमी आ रही है. यह तब है, जब दो साल पहले ही कथित तौर पर दलहन उत्पादन में उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया था. छत्तीसगढ़ में पिछले साल भर में दलहन उत्पादन में 29.8 प्रतिशत की कमी आ गई है. हालांकि कृषि अधिकारियों का कहना है कि राज्य में नकदी फसलों का उत्पादन बढ़ा है लेकिन हकीकत ये है कि अधिकांश नगदी फसल उगाने वाले बड़े किसान हैं, जो लाखों, करोड़ों रुपयों का व्यापार करते हैं.

कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार दलहन का क्षेत्रफल 2016-17 में 883.8 हज़ार हेक्टेयर था, जो 2017-18 में घट कर 773.4 हजार हेक्टेयर रह गया. क्षेत्रफल के लिहाज से देखें तो दाल के रकबा में 12.5 प्रतिशत की कमी हो गई. जाहिर है, क्षेत्रफल घटा तो उत्पादन भी घटना ही था.

2016-17 में छत्तीसगढ़ में कुल 758.7 हजार टन दाल की उपज हुई थी, जो 2017-18 में केवल 532 हजार टन रह गई. यानी आंकड़ों में देखें तो पता चलता है कि दलहन की उपज में लगभग 29.8 प्रतिशत की कमी आ गई.

जबकि इसी दौरान के राष्ट्रीय औसत देखें तो पता चलता है कि 23131.1 हजार टन से उत्पादन बढ़ कर 23947.6 हज़ार टन हो गया. यानी देश में औसतन 3.5 प्रतिशत दलहन उत्पादन में वृद्धि हुई.

यही हाल चावल का रहा. धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में 2016-17 में धान का रकबा 3830 हेक्टेयर था, जो 2017-18 में घट कर 3791.1 हजार हेक्टेयर हो गया. इस तरह धान के रकबा में 1 प्रतिशत की कमी आ गई.

लेकिन इस 1 प्रतिशत की कमी के कारण उत्पादन में भारी गिरावट आ गई. 2016-17 में जहां 8048.4 हजार टन चावल का उत्पादन हुआ, वहीं 2017-18 में दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार यह आंकड़ा 6910.6 हजार टन रह गया. यह पिछले वर्ष की तुलना में 14.1 प्रतिशत कम है.

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