छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के नमक में आयोडीन कम

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ में बिक रहा नमक सहित सरकार द्वारा दिए जा रहे नमक में आयोडीन की भारी कमी है. यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संचालित आयोडीन डिफिसिएंसी डिसऑर्डर सेल की पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में स्थापित लैब में जांच से हुआ. 52 सैंपलों की जांच में 40 सैंपल अमृत नमक के थे. जांच में 56 फीसदी सैंपल फेल हो गए. अमृत नमक का सर्वाधित इस्तेमाल गांव में रहने वाले लोग कर रहे हैं.

आयोडीन डिफिसिएंसी डिसऑर्डर सेल ने इस रिपोर्ट की जानकारी छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को भेजी है, ताकि विभाग जांच कर सरकारी नमक सप्लाई करने वाली एजेंसियों और बाजार में सप्लाई करने वाली निजी कंपनियों व डीलरों पर उचित कार्रवाई करे.

वर्ष 2009 में बिलासपुर और सरगुजा जिलों में सर्वे के बाद यूनिसेफ की रिपोर्ट में बताया गया था कि सिर्फ 31.2 फीसदी घरों में ही आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल हो रहा है. इसके बाद ही 10 सालों से लंबित आयोडीन टेस्टिंग लैब स्थापित की गई.

स्वास्थ्य विभाग ने कई गांवों में पहुंचकर एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें पता चला कि सैकड़ों लोगों घेंघा रोग से पीड़ित हैं, लेकिन अफसर इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. मुख्यमंत्री महतारी नमक, जो गर्भवती महिला और बच्चों को सरकार देती है, उसकी जांच की व्यवस्था नहीं है.

नमक में आयोडीन कम से कम 15 पार्ट्स पर मिलियन होना चाहिए. फैक्ट्रियों में तैयार नमक में आयोडीन 30 पीपीएम होना चाहिए, ताकि आम उपभोक्ता तक पहुंचते तक 15 पार्ट्स पर मिलियन आयोडीन मौजूद रहे.

चिकित्सकों का कहना है कि आयोडीन की कमी से बच्चों का मानसिक विकास कम होता है, बौद्धिक क्षमता भी कम रह जाती है. गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क सेल के विकास में बाधा पहुंचती है, जिसके कारण घेंघा रोग, मंदबुद्धि, अपंगता, बौनापन, बहरापन, गूंगापन, भैंगापन, बार-बार गर्भपात होना, बच्चा मृत पैदा जैसी समस्याएं पैदा होती हैं.

आयोडीन डिफिसिएंसी डिसऑर्डर सेल के नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने कहा कि नमक में आयोडीन की कमी बेहद चिंताजनक है. इस संबंध में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को उचित कदम उठाए जाने के लिए तमाम जानकारी भेज दी है. आईडीडी सेल की जांच में सामने आया है कि नमक में आयोडीन की कमी है. 52 सैंपल लिए थे, जिनमें से 56 फीसदी सैंपल फेल हो गए.

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