छत्तीसगढ़

निजी स्कूलों का आकर्षण ज्यादा

रायपुर | जेके कर: छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों के बजाये निजी स्कूलों का आकर्षण ज्यादा है. लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल के बजाये निजी स्कूलों में भर्ती करवाते हैं. ख़ासकर प्रायमरी तथा मिडिल स्कूलों में नये भर्ती के आकड़ो यहीं जाहिर करते हैं. यहां तक कि मिड डे मील का आकर्षण भी पालकों को प्रभावित नहीं कर पा रहा है.

निजी स्कूलों में साल 2010-11 में 8,24,695 नई भर्तियां हुई, साल 2011-12 में यह 15 फीसदी बढ़कर 9,46,583, साल 2012-13 में 17 फीसदी बढ़कर 9,65,519, साल 2013-14 में 22 फीसदी बढ़कर 10,07,103 तथा साल 2014-15 में 34 फीसदी बढ़कर 11,07,156 की हो गई.

इसके ठीक उलट सरकारी स्कूलों में नई भर्ती साल 2010-11 में 45,22,745 थी जो साल 2011-12 में 11 फीसदी घटकर 40,44,606 हो गई, वहीं साल 2012-13 में 14 फीसदी घटकर 38,76,271 हो गई. इसके बाद साल 2013-14 में 18 फीसदी घटकर 37,22,404 तथा साल 2014-15 में 22 फीसदी घटकर 35,42,832 की रह गई.

हां इतना जरूर है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के ड्रापआउट को कम किया जा सका है. साल 2010-11 में 4.8 फीसदी ड्रापआउट रहा जो साल 1011-12 में घटकर 3.4 फीसदी, साल 2012-13 में 1.8 फीसदी, साल 2013-14 में 2.2 फीसदी तथा साल 2014-15 में 1.5 फीसदी रह गया.

आकड़ों से जाहिर है पालक बच्चों को स्कूल में भर्ती कराते समय शिक्षा की गुणवत्ता को मुफ्त मध्यांह भोजन से ज्यादा वरीयता देते हैं. इससे यह भी नतीजा निकाला जा सकता है कि जब तक सरकारी स्कूलों में शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार नहीं किया जाता तब तक केवल मुफ्त मध्यांह भोजन के आधार पर छात्रों के पालकों को आकर्षित नहीं किया जा सकता है.

सरकारी स्कूलों के इस कमी का फायदा निजी स्कूल उठा रहें हैं जहां पालकों से मनमानी फीस वसूली जाती है. इतना ही नहीं स्कूल ड्रेस, किताबे-कापियां तक निर्धारित दुकानों से खरीदने के लिये मजबूर कर दिया जाता है.

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