छत्तीसगढ़रायपुर

नये बजट में कृषि और स्वास्थ्य पर ज़ोर

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को राज्य का बजट पेश किया है. भूपेश बघेल सरकार के इस दूसरे बजट में भी कृषि और स्वास्थ्य पर ज़ोर दिया गया है.

मुख्यमंत्री का पूरा बजय भाषण अविकल रुप से यहां प्रस्तुत है.

माननीय अध्यक्ष महोदय,
आज मैं सदन के समक्ष अपनी सरकार के दूसरे बजट का भाषण निम्न पंक्तियों के साथ शुरू करता हूँ:-

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्..

2. आधुनिकता तथा परम्परा का साम्य हमारे विकास का बुनियादी दर्शन है. यही कारण है कि हमारे विकास के मॉडल में यदि हम राज्य के नदी-नालों, धरती-जंगल और तीज-त्यौहारों को शामिल करते हैं तो दूसरी ओर किसानों के खातों को अपडेट करने के लिये जियो-रिफरेंशिंग जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हैं.
3. हमारा विकास का मॉडल समावेशी भी है. विकास की योजनाओं का लाभ समाज के सबसे कमजोर लोगों तक पहुंचाना हमारी प्राथमिकता है. इसीलिये हम कर्ज से दबे किसानों और गरीबी के कारण कुपोषित महिलाओं और बच्चों के विकास की योजनाएं बनाते हैं.
4. चिन्ता का विषय है कि राज्य बनने के 19 वर्षों के बाद भी हमारी महिलाओं और बच्चों के कुपोषण की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है. राज्य के सुदूर ग्रामीण अंचलों से लेकर शहरी स्लम में रहने वाले परिवारों को हमने कुपोषण और बीमारियों से प्रतिदिन लड़ते देखा है. इसीलिये कुपोषण को दूर करने और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति सभी को जागरूक करने के लिये सुपोषण अभियान शुरू किया गया है.

5. प्राथमिक बीमारियों की जांच एवं उपचार के लिये अब हमारी स्वास्थ्य टीम के सदस्य साप्ताहिक हाट बाजारों एवं शहरी स्लम क्षेत्रों में स्वतः पहुंच कर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे हैं और जरूरत के अनुसार परामर्श एवं उपचार किया जा रहा है. जब जनता का दर्द शासन अनुभव करने लगता है और जनता की जरूरत पर प्रशासन उसके पास पहुंचने लगता है तो समस्याओं का निदान आसान हो जाता है.
6. हमारी मंशा केवल कुपोषण एवं बीमारियों को कम करने तक सीमित नहीं है. हम तो इसकी जड़ में जाकर इसके मुख्य कारण गरीबी को भी कम करना चाहते हैं. इसके लिये अब तक 17 लाख 24 हजार किसानों का कृषि ऋण माफ किया जा चुका हैं. ऋण माफी से धान पंजीयन में किसानों की संख्या बढ़ी है. 2019-20 में अब तक 82 लाख 81 हजार मैट्रिक टन धान की रिकार्ड खरीदी हो चुकी है.
7. ग्राम सुराजी योजना के अंतर्गत नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी विकास के कार्यों में भी ग्रामीणों का बढ़-चढ़कर सहयोग प्राप्त हो रहा है. नरवा संरक्षण के कार्यों से भू-जल के स्तर में सुधार हो रहा है. गौठानों में पशुओं को चारा और स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा मिल रही है. घुरूवा के प्रोत्साहन से बायोगैस संयंत्र एवं जैविक खाद निर्माण के लिये लोग स्वतः सामने आ रहे हैं. बाड़ियों के पुनर्जीवन से ग्रामीणों की आय और पोषण में वृद्धि हुई है.

8. राज्य में गन्ने के रस से इथेनॉल बनाकर उसे शासकीय पेट्रोलियम कम्पनियों को विक्रय करने के लिये हमने सार्थक कदम उठाए हैं. इसी प्रकार धान से इथेनॉल निर्माण हेतु केन्द्र शासन से अनुमति प्राप्त करने के लिये निरंतर प्रयास जारी है. इन योजनाओं से किसानों को धान एवं गन्ने का अधिक मूल्य मिलेगा, युवाओं को रोजगार प्राप्त होगा, उद्योग-व्यापार में वृद्धि होगी तथा पेट्रोलियम आयात पर राष्ट्र के विदेशी धन की भी बचत होगी.
9. गरीबी में कमी लाने के लिये स्थानीय आवश्यकता के आधार पर जिलेवार कार्ययोजना बनाने का काम शुरू किया गया है. अति पिछड़ा जिला दंतेवाड़ा में गरीबी के प्रतिशत को राष्ट्रीय गरीबी औसत 22 प्रतिशत के बराबर लाने की मुहिम शुरू हो चुकी है. इसके लिये जिले में उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग करने के साथ-साथ राज्य बजट से भी रूपये 20 करोड़ दिया जायेगा.
10. हमारा मानना है कि शासन-प्रशासन के प्रयास एवं जनता की सहभागिता से गरीबी के स्तर में प्रभावी कमी आएगी. सुपोषण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी शीघ्र ही हमारा राज्य राष्ट्रीय स्तर के मानव विकास सूचकांको के समकक्ष होगा.

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