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बस्तर: पैर पसार रहा है जापानी बुखार

सुकमा | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के सुकमा में जापानी बुखार से दो वर्षीय बच्चे की मौत हो गई है. सुकमा के जिरमपाल पंचायत के आमापारा निवासी तड़गु यादव के दो साल के बेटे सोमनाथ यादव की मौत दीवाली की रात हो गई है. उसका इलाज ओडिशा के मलकानगिरि के अस्पताल में चल रहा था.

तगड़ु यादव की 11 साल की बेटी भारती यादव का भी जापानी बुखार के कारण मलकानगिरि के अस्पताल में इलाज चल रहा है.

इसी तरह से छिंगगढ़ ब्लॉक के भंडाररास निवासी चुलाराम कश्यप के साढ़े तीन साल के बेटे संजय कश्यप का मलकानगिरि के ही अस्पताल में जापानी बुखार के कारण इलाज चल रहा है.

इससे पहले सुकमा में जापानी बुखार से एक बच्ची की मौत हो चुकी है.

उल्लेखनीय है कि पास में लगे ओडिशा के मलकानगिरि में जापानी बुखार से 69 मौते हो चुकी हैं. मलकानगिरि से सटे गांव के लोगों को डर है कि कहीं उनके बच्चों को भी यह जापानी बुखार इंसेफेलाइटिस न हो जाये. इससे डर के छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के दर्जनभर गांव वीरान पड़ गये हैं.

लोगों ने अपने बच्चों को जापानी बुखार से बचाने के लिये पलायन करना शुरु कर दिया है. लोग आसपास के गांव के अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिये हुये हैं. मलकानगिरि से सटे होलेर गांव के 200 घरों में से अब केवक 8-10 घरों में ही लोग रह रहें हैं.

इसके अलावा मलकानगिरि से सटे दरभा, कोदरिपाल, नेतानाल भूर्मि जैसे दो दर्जन गांव के लोग पलायन कर रहें हैं. लोग अपने घरों में ताला लगाकर जगदलपुर, बीजापुर, कोटा, दंतेवाड़ा तथा कांकेर में अपने नाते रिश्तेदारों के यहां शरण ले रहें हैं.

छत्तीसगढ़ शासन ने अपने स्वास्थ्य टीमें वहां भेजी हैं जो ग्रामीणों के रक्त की जांच कर रही है. सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ को भी ओडिसा की तरह इंसेफेलाइटिस के वैक्सीन के आने का इंतजार है.

इंसेफेलाइटिस-
यह बीमारी एक तरह के वाइरस के कारण होती है जो मच्छर काटने से होता है. बरसात के मौसम में दिमागी बुखार यानी इंसेफेलाइटिस का कहर शुरू हो जाता है. इंसेफेलाइटिस के सबसे अधिक शिकार 3 से 15 साल के बच्चे होते हैं. यह बीमारी जुलाई से दिसम्बर के बीच फैलती है. सितम्बर-अक्टूबर में बीमारी का कहर सबसे ज्यादा होता है.

आंकड़े बताते हैं कि जितने लोग इंसेफेलाइटिस से ग्रसित होते हैं, उनमें से केवल 10 प्रतिशत में ही दिमागी बुखार के लक्षण जैसे झटके आना, बेहोशी और कोमा जैसी स्थिति दिखाई देती है. इंसेफेलाइटिस में झटके, दिमाग में संक्रमण, डायरिया, ब्लड प्रेशर और न्यूमोनिया के लिए अलग-अलग दवाइयां दी जाती हैं.

इंसेफेलाइटिस के मरीजों को अकसर वेंटीलेटर पर रखने की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में, मरीजों को उन्हीं हॉस्पिटलों में भर्ती किया जाना चाहिये जहां वेंटीलेटर और दूसरे आधुनिक उपकरणों की व्यवस्था हो अन्यथा जान जा सकती है.

शुरुआत के 15 दिनों तक आम फ्लू जैसे रहना. बुखार, सिर दर्द, उल्टी, डायरिया और जुकाम आदि की शिकायत. बाद में मरीज को झटके आना, बेहोशी छा जाना. मेमोरी लॉस और व्यावहारिक परिवर्तन होना. कुछ मरीजों को लकवा मार जाता है.

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