छत्तीसगढ़

सिलाई मशीन चलाएंगी नक्सली महिलाएं

राजनांदगांव | एजेंसी: छत्तीसगढ़ के जंगलों में वर्षो तक बंदूक थामकर चलने वाली नक्सली महिलाएं अब सिलाई मशीन चलाएंगी. नक्सली दलम में शामिल महिलाएं 12 बोर रायफल और बंदूक चलाने में माहिर थीं. दलम में रहते हुए कई समस्या झेलते और खासकर महिला प्रताड़ना से तंग आकर इन महिलाओं ने आत्मसमर्पण कर दिया था. अब ये आत्मनिर्भर बनेंगी.

इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए डेढ़ माह का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसमें 13 महिलाएं सिलाई मशीन चलाना सीखेंगी. साथ ही इन्हें अतिरिक्त आय अर्जित करने योग्य बनाने के लिए कढ़ाई, बुनाई का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव जिले में नक्सल ऑपरेशन के एएसपी वाई.पी. सिंह ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाली नक्सली महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास पहले किया जा रहा था. इसी कड़ी में अब इन्हें सिलाई मशीन, कढ़ाई, बुनाई का डेढ़ माह का प्रशिक्षण जल्द ही दिया जाएगा. यह प्रशिक्षण डेढ़ माह का होगा. इसमें आधुनिक तरीके से तैयार कपड़े सिलने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा.

इन नक्सली महिलाओं को कढ़ाई और बुनाई का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि ये स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकें.

सिंह ने बताया कि डेढ़ माह का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद सभी महिलाओं को सिलाई मशीन पुलिस की ओर से दी जाएगी. प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं में सीता, प्रभा, लता, गैंदरी, सुनीता, शिल्पा, वनोजा सहित कई अन्य हैं.

छत्तीसगढ़ में फरवरी में आत्समर्पण करने वाली वनोजा उर्फ तीजो ने बताया कि वह जंगलराज नक्सलियों की कायनात से अलग दुनिया बसा ली है. यहां आकर वह बहुत खुश है. उसने बताया कि पांचवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. वर्ष 2006 में इनके गांव में कोडेखुर्से दलम कमांडर जीवन एवं डिप्टी कमांडर फुलों अपने साथियों के साथ पहली बार आए, जिनसे मुलाकात हुई. इनसे आकर्षित होकर वर्ष 2007 में वह अपने पिता को बिना बताए चली गई. इसके बाद वह दलम में कई पद पाती रही.

दिसंबर 2013 में डिवीजन सीएनएम को समाप्त कर दिया गया तथा वनोजा को औंधी एलओएस सदस्या बना दिया गया. वह 303 रायफल लेकर औंधी एलओएस के साथ चलती थी. 303 रायफल चलाने में वह माहिर थी. अब सिलाई मशीन चलाने में माहिर होगी. इन लोगों ने खुशी जाहिर की है कि एक बार फिर से उन्हें समाज की मुख्यधारा में जुड़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है.

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