छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: थमे ट्रक, बढ़ेगी महंगाई

रायपुर | समाचार डेस्क: ट्रासपोर्टरों की हड़ताल से छत्तीसगढ़ में भी महंगाई बढ़ेगी. गौरतलब है कि इस देशव्यापी हड़ताल में छत्तीसगढञ के 30 हजार ट्रक मालिक शामिल हैं. पहले से ही प्याज तथा दालों के बढ़े हुये दामों के हलाकान जनता की दुश्वारियों में ट्रकों की हड़ताल से और इजाफा होने जा रहा है. दूसरे दिन भी ट्रांसपोर्टरों के शीर्ष संगठन द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर चल रही देशव्यापी हड़ताल कारण छत्तीसगढ़ में ट्रकों के पहिए थमे रहे.

ट्रांसपोर्टर मौजूदा टोल प्रणाली को खत्म करने तथा करों के एकमुश्त भुगतान की सुविधा देने सहित कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. माल ढुलाई ठप्प होने से महंगाई बढ़ने की पूरी संभावना है.

छत्तीसगढ़ से पड़ोसी राज्यों तक सामान ले जाने वाले सभी ट्रकों के पहिए जाम कर दिए गए. हड़ताल के समर्थन में प्रदेश के सभी 16 ट्रक संगठनों के पदाधिकारियों ने टाटीबंध में इकट्ठे होकर चौक पर चक्काजाम किया. इसके चलते प्रदेश में करोड़ों का कारोबार प्रभावित हुआ इस दौरान सब्जियां, फल, दूध, डीजल-पेट्रोल, दवा आदि लेकर चलने वाले ट्रकों को छूट दी गई है.

चेंबर ऑफ कॉमर्स ने इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है.

ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के आह्वान पर देशभर के करीब 80 लाख ट्रकों के मालिकों ने टोल व बैरियर मुक्त सड़क की मांग को लेकर एक अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. छत्तीसगढ़ में भी हड़ताल का असर देखने को मिला. ट्रक आपरेटरों की हड़ताल की वजह से सब्जियां बाजार व मंडी तक नहीं पहुंच पाईं. इससे सब्जियां व फलों के खराब होने तथा कीमतें बढ़ने के आसार हैं.

इसी तरह दूध व दैनिक उपयोगी वस्तुओं के अलावा कच्चा माल तथा अन्य सामग्रियों पर भी असर पड़ेगा और महंगाई बढ़ेगी. राजधानी रायपुर समेत आसपास के टांसपोर्टरों ने नेशनल हाइवे पर प्रदर्शन कर चक्का जाम किया.

छत्तीसगढ़ ट्रक मालिक संघ के अध्यक्ष त्रिलोक सिंह ने बताया कि जब तक मांगें पूरी नहीं होगी, बेमियादी हड़ताल जारी रहेगी. ट्रकों में सामान लोडिंग का काम बंद कर दिया है. इसका असर एक दो दिनों में दिखेगा, जब खाद्य सामग्री की कमी होगी. इससे खाद्य सामग्री की कीमतों में इजाफा होगा.

अखिल भारतीय वाहन परिचालक संघ टोल वसूली की व्यवस्था खत्म किए जाने की मांग कर रहा है. उनका कहना है कि टोल-नाके भ्रष्टाचार, उत्पीड़न और जबरन वसूली का अड्डा हैं. टोल व्यवस्था से यातायात अवरुद्ध होता है और उससे समय और ईंधन की बर्बादी होती है. संघ नेताओं का यह भी कहना है कि वसूली की रकम सरकार को कम, नेताओं की जेब में ज्यादा जाती है.

सरकार ने हालांकि टोल वसूली खत्म करने से इनकार किया है.

संघ करों की एकमुश्त अदायगी और स्रोत पर कर कटौती, टीडीएस व्यवस्था को सरल बनाए जाने की भी मांग कर रहा है.

जानकारों के मुताबिक, हड़ताल से व्यापारियों, वाहन परिचालकों और सड़कार को अरबों रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.

अखिल भारतीय वाहन परिचालक संघ अध्यक्ष भीम वधवा ने कहा, “हड़ताल से ट्रक परिचालकों को 1,500 करोड़ रुपये और सरकार को 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का रोज नुकसान होगा.”

अखिल भारतीय वाहन परिचालक संघ का दावा है कि वह देश के करीब 87 लाख ट्रकों और अैर 20 लाख बसों तथा टेम्पुओं का प्रतिनिधित्व करता है.

ट्रक परिचालकों का एक अन्य संघ ‘ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन’ हड़ताल में शामिल नहीं हुआ है.

दिसंबर तक इलेक्ट्रॉनिक टोल लागू करने के सरकार के प्रस्ताव को परिचालक संघ द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद संघ और परिवहन मंत्रालय की वार्ता असफल हो गई.

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