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जिनपिंग का मकसद क्या है?

अहमदाबाद | समाचार डेस्क: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्वागत के लिये अहमदाबाद सजधज के तैयार है. उनके स्वागत के लिये रात्रिभोज में 150 प्रकार के गुजराती व्यंजव परोसे जायेंगे जिसकी देखरेख प्रधानमंत्री मोदी के निजी खानसामे बद्री के हाथ में है. जाहिर है कि मोदी सरकार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.

इसी के साथ प्रधानमंत्री मोदी भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्वागत के लिये अपने निजी स्टाफ पर भरोसा कर रहें हैं. उसके बाद भी यह सवाल रह जाता है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत यात्रा का मकसद क्या है. भारत के परंपरा के अनुसार उनका स्वागत किया जा रहा है यह अपनी जगह पर एकदम बाजिब है.

उल्लेखनीय है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के बजाये उसके परंपरागत प्रतिद्वंदी जापान को हाल ही में ज्यादा तव्ज्जों दी है. फधानमंत्री मोदी के जापान यात्रा के फलस्रूप जापान ने भारत में करीब 2लाख करोड़ रुपयों के निवेश का भरोसा दिलाया है जो अपने आप में इक बड़ी रकम है. जबकि मोदी के गुजरात के प्रधानमंत्री रहते उनके चीन के साथ भी बेहतर संबंध थे. मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने पर चीन के अखबार में उन्हे, चीन के लिये भारतीय निक्सन के तौर पर देखा गया था.

गौरतलब है कि अमरीकी राष्ट्रपति निक्सन ने शीत युद्ध के दौर में चीन के साथ व्यापार की शुरुआत की थी. यह अलग बात है कि उस समय के चीन के चेयरमैन माओ जे दुंग की पटरी तत्कालीन सोवियत रूस के साथ नहीं बैठती थी. निक्सन के दौर में चीन ने अमरीका के साथ व्यापार की शुरुआत की थी.

भारत के प्रधानमंत्री मोदी को निक्सन की उपमा देने से चीनी अखबारों का तात्पर्य यह था कि वे मोदी से एक नये युग की शुरुआत की उम्मीद लगाये बैठे हैं. ऐसे समय में प्रधानमंत्री मोदी का जापान के साथ व्यापक समझौता करना तथा उनके कार्पोरेट घरानों को यह कहना कि भारत में रेड टेपिज़म नहीं रेड कॉर्पेट उनका इंतजार कर रहा है, चीन को कान खड़े करने के लिये काफी था.

दूसरे शब्दों में कहें तो यह प्रधानमंत्री मोदी की कामयाब रणनीति है कि उन्होंने दुश्मन के दुश्मन के साथ पहले दोस्ती गांठ ली. माओ जे दुंग के पहले से ही, सुन यात सेन के समय से ही चीन तथा जापान के बीच तनाव थे तथा युद्ध हुए थे. गौरतलब है कि चीन की सीमा एक ओर से भारत के साथ तथा दूसरे ओर से जापान के साथ लगी हुई है तथा दोनों सीमाओं पर चीनी लाल सैनिक अपनी करामात दिखाते रहते हैं.

नरेन्द्र मोदी का भारतीय राजनीति में उदय एक राष्ट्रवादी नेता के तौर पर हुआ है. जाहिर है कि चीन के साथ सीमा पर तनातनी के चलते उनका झुकाव जापान की ओर ज्यादा हो सकता है. चीन कभी नहीं चाहेगा कि भारत के विशाल मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति का लाभ जापान उठाये. इससे अब स्पष्ट होने लगा होगा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत आने का मकसद क्या है.

उल्लेखनीय है कि कभी कोलंबस भी बाजार की खोज में निकले थे तथा उन्होंने अमरीका को खोज निकाला था. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को चीन का कोलंबस कहा जा सकता है जिनका मकसद भारत के बाजार में चीनी माल बेचने के लिये उर्वर भूमि की तलाश करना है.

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