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झीरम घाटी में भाजपा सरकार का हाथ- कांग्रेस

रायपुर | संवाददाता: बस्तर में 2013 में कांग्रेस नेताओं पर माओवादी हमले की झीरम कांड पर छत्तीसगढ़ के मंत्रियों और विधायक ने भाजपा पर बड़ा हमला बोला है. राज्य के मंत्री रविन्द्र चौबे, मोहम्मद अकबर और शिवकुमार डहरिया के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भाजपा पर झीरम कांड को लेकर कई गंभीर आरोप लगाये.

हालांकि इन आरोपों को लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि केंद्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार के दौरान यह घटना हुई थी और केंद्र के ही कहने पर एनआईए की जांच हुई. इसके अलावा न्यायिक जांच भी हुई. अब इसके बाद कांग्रेस बेबुनियाद आरोप लगा रही है.

गौरतलब है कि 25 मई 2013 को बस्तर के दरभा-झीरम इलाके से गुज़र रही कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर संदिग्ध माओवादियों ने हमला किया था, जिसमें कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर के आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा समेत 28 लोग मारे गये थे.

इस मामले की एनआईए ने जांच की थी और मामला अभी अदालत में लंबित है. राज्य की भाजपा सरकार ने इस मामले पर सीबीआई की जांच कराने की घोषणा की थी. लेकिन विधानसभा में इस घोषणा के बाद भी मामले की जांच सीबीआई से नहीं करवाई गई.

इसके बाद 2018 के चुनाव में सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी ने झीरम घाटी मामले की जांच के लिये एसआईटी गठित कर के एनआईए से पूरी फाइल मांगी थी. लेकिन 11 फरवरी को लिखे एक पत्र में भारत सरकार के अंडर सेक्रेट्री धर्मेंद्र कुमार ने फाइल देने से इंकार कर दिया.

सोमवार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और विधायक ने झीरम कांड पर कहा कि आखिर किसके इशारे पर एनआईए जांच रोक दी गई है? पिछले पांच साल में पांच लोगों से पूछताछ नहीं की गई है. कांग्रेस नेताओं ने पूछा कि सीबीआई ने झीरम की जांच करने से मना कर दिया था, यह बात तत्कालीन सीएम डॉ. रमन सिंह ने दो साल तक क्यों छिपाए रखी. उन्होंने हाल के नक्सल नेटवर्क के खुलासे का जिक्र करते हुए कहा कि नक्सलियों के भाजपा नेताओं से सांठगांठ हैं, इसके साक्ष्य मौजूद हैं. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि एनआईए से परे जांच की जरूरत है. ताकि सच्चाई सामने आ सके और पीडि़त परिवारों को न्याय मिल सके.

कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने कहा कि कांग्रेस ने पहली पीढ़ी की नेताओं को खोया है. पीडि़त परिवार को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है. उस समय सरकार की विकास यात्रा के समानान्तर कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा चल रही थी. मगर सुरक्षा के बंदोबस्त क्यों नहीं थे? इस घटना को सुपारी किलिंग जैसे मामले के रूप में देखा जाता है, लेकिन अभी तक जवाब नहीं मिल पाया है.

रवींद्र चौबे ने कहा कि केन्द्र में जिनकी सरकार है, एनआईए उनके इशारे पर काम करती है. कांग्रेस के दबाव में रमन सरकार ने केन्द्र को प्रकरण की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. केन्द्र सरकार ने इंकार कर दिया, लेकिन इस चिट्ठी को दो साल तक दबाए रखी. उन्होंने कहा कि हाल ही में शहरी नक्सल नेटवर्क खुलासा हुआ है, जिसमें भाजपा के पदाधिकारी भी पकड़े गए हैं. कृषि मंत्री ने आरोप लगाया कि नक्सलियों से भाजपा नेताओं के सांठगांठ हैं. इसके पूरे साक्ष्य मौजूद हैं.

कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने कहा कि झीरम घटना में रमन्ना जैसे कई नक्सल नेताओं के नाम सामने आए थे. मगर एनआईए ने चार्जशीट से उनका नाम हटा दिया. ऐसा क्यों किया गया, इसका कोई जवाब नहीं है. सरकार के मंत्रियों ने कहा कि सीबीआई द्वारा जांच से मना करने पर नई सरकार ने एसआईटी का गठन किया था. एनआई को पत्र लिखकर दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था. मगर एनआईए ने दस्तावेज देने से मना कर दिया. कोर्ट में चार्जशीट पेश कर एनआईए कह चुकी है कि जांच पूरी हो चुकी है, तो कभी कहती है कि जांच चल रही है.

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि झीरम हमले में घायल दौलत रोहरा और विवेक वाजपेयी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले में केन्द्र सरकार और एनआईए को नोटिस जारी किया गया था. झीरम हमले में दिवंगत उदय मुदलियार के पुत्र जीतेन्द्र मुदलियार समेत अन्य ने एनआईए जांच पर असंतोष जाहिर किया है. एनआईए कई बिन्दुओं पर जांच नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि रमन सरकार ने सीबीआई जांच के लिए अधिसूचना जारी की थी. जिसमें घटना राजनीतिक षडय़ंत्र का हिस्सा था या नहीं, इसको जांच की बिन्दु में शामिल नहीं किया गया.

परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि पिछले पांच साल में एनआईए की इस प्रकरण को लेकर जांच की क्या प्रगति है, यह बताना चाहिए. उन्होंने कहा कि पांच साल में पांच लोगों से पूछताछ नहीं की गई है.

राज्य में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि सरकार एसआईटी के जरिए जांच को गति देना चाहती है, लेकिन केन्द्र की सरकार ऐसा नहीं होने देना चाह रही है.

नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने आरोप लगाया कि झीरम कांड में तत्कालीन रमन सिंह सरकार संलग्न रही है, इस वजह से केन्द्र की सरकार एसआईटी जांच नहीं होने देना चाह रही है.

रमन सिंह ने उठाये सरकार की मंशा पर सवाल

इधर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाये हैं.

उन्होंने कहा कि जब यह घटना हुई तो उस वक्त कांग्रेस की यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं तत्कालीन गृह मंत्री सुशील शिंदे ने छत्तीसगढ़ का दौरा किया था और वापस जाकर तत्कालीन गृह मंत्री ने मुझे फोन पर ही एनआईए जांच की सहमति मांगी थी. हमने तुरन्त एनआईए जांच की सहमति दे दी. यहां यह बताना भी जरूरी है कि एनआईए एक्ट यूपीए सरकार के द्वारा ही लाया गया था और एनआईए देश में आतंकवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद जैसी घटनाओं की जांच के लिए बनाई गई संस्था है. चूंकि झीरमघाटी की घटना नक्सलवादियों द्वारा की गई घटना थी इसी कारण तत्कालीन यूपीए सरकार ने एनआईए को इस घटना की जांच हेतु सबसे उपयुक्त माना होगा.

रमन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा झीरमघाटी की जांच के लिए एसआईटी का गठन करना समझ से परे है, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या राज्य की एसआईटी, देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी एनआईए से ऊपर है?

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इस घटना की स्वतंत्र जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था, जिसकी जांच जारी है और इस आयोग द्वारा अखबारों में कई बार विज्ञापन दिया गया कि झीरमघाटी के संबंध में किसी भी तरह के सबूत किसी भी व्यक्ति के पास यदि है तो वह इस आयोग को सौंप सकता है. इसके बावजूद 7 साल बाद घटना की जांच हेतु एसआईटी की मांग करना समझ से परे है. मैं यहां आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या राज्य की एसआईटी, एक सिटिंग जज की अध्यक्षता में बने आयोग से ऊपर है?

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 16 जून 2020 को एनआईए ने जगदलपुर की विशेष एनआईए अदालत में याचिका लगाकर आवेदन किया कि मई 2020 में जितेन्द्र मुदलियार द्वारा की गई FIR की जांच भी एनआईए को सौंप दी जाये क्योंकि इस घटना की जांच एनआईए पहले से कर रहा है.

उन्होंने कहा कि एक बात और कही गई कि CBI ने जांच क्यों नहीं किया तो मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि हमने गृह मंत्रालय को CBI जांच के लिए आग्रह किया था चूंकि एनआईए CBI के समकक्ष एजेंसी है इस कारण CBI ने इस घटना की जांच ना करना उपयुक्त समझा होगा.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एनआईए जैसी देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी के ऊपर आरोप लगाना सरासर गलत है. इस तरह की एजेंसी किसी भी घटना की जांच प्रोफेशनल तरीके से करती है और यदि आपके पास इस घटना से संबंधित कोई सबूत या जानकारी देना चाहते है तो एनआईए को या न्यायिक जांच आयोग को आज भी सौंप सकते है.

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