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रामदेव की कोरोना की दवा पर सरकार की रोक

नई दिल्ली | डेस्क: बाबा रामदेव की कोरोना की कथित दवाई के विज्ञापन भर भारत सरकार ने रोक लगा दी है. हालांकि पतंजलि के निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन व गौरव देने वाली है जो communication gap था, वह दूर हो गया है.

इससे पहले बाबा रामदेव ने कोरोना की दवा खोजने का दावा किया था. पतंजलि ने मंगलवार को ‘कोरोनिल टैबलेट’ और ‘श्वासारि वटी’ नाम की दो दवाएं लॉन्च की, जिनके बारे में कंपनी ने दावा किया कि ये कोविड-19 की बीमारी का आयुर्वेदिक इलाज हैं.

इसके बाद आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की ओर से कोरोना की दवा खोज लेने के दावों को लेकर मीडिया में छपी रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है. मंत्रालय ने साफ़ तौर पर कहा है कि कथित वैज्ञानिक अध्ययन के दावों की सच्चाई और विवरण के बारे में मंत्रालय को कोई जानकारी नहीं है.

पतंजलि को इस बारे में सूचित किया गया कि दवाओं के इस तरह के विज्ञापन पर रोक है. इस तरह के विज्ञापन ड्रग एंड मैजिक रिमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन ) क़ानून, 1954 के तहत आते हैं. कोरोना महामारी को लेकर केंद्र सरकार की ओर से जारी निर्देशों में भी इस बारे में साफ तौर पर कहा गया है. आयुर्वेदिक दवाओं के विज्ञापन पर भी यह लागू होता है.

मंत्रालय ने 21 अप्रैल, 2020 को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें ये बताया गया था कि आयुष मंत्रालय की देखरेख में कोविड-19 को लेकर शोध अध्ययन कैसे किया जाएगा.

आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से दवा के नाम और उसमें इस्तेमाल होने वाले घटकों का विवरण पूछा है. साथ ही यह भी पूछा है कि दवा को लेकर अध्ययन कहाँ या किस अस्पताल में हुआ है, क्या प्रोटोकॉल पालन किया गया है.

मंत्रालय ने ये भी पूछा है कि सैंपल साइज़ क्या था, इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी क्लियरेंस मिली है या नहीं, सीटीआरआई रजिस्ट्रेशन और अध्ययन से जुड़ा डेटा कहां है.

मंत्रालय ने साफ़ कहा है कि जब तक इन तमाम मामलों की जाँच नहीं हो जाती है, इस दवा से जुड़े दावों के बारे में विज्ञापनों पर रोक लगी रहेगी.

इसके साथ ही मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार के लाइसेंसिंग प्राधिकरण से दवा की लाइसेंस की कॉपी मांगी है और प्रोडक्ट के मंज़ूर किए जाने का ब्यौरा भी माँगा है.

इसके बाद आचार्य बालकृष्ण ने एक ट्वीट करके कहा-“यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन व गौरव देने वाली है जो communication gap था वह दूर हो गया है व Randomised Placebo Controlled Clinical Trials के जितने भी Standard Parameters हैं उन सबको 100% fullfill किया है इसकी सारी जानकारी हमने आयुष मंत्रालय को दे दी है.”

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