कलारचना

छवि बदलने की कोशिश में दूरदर्शन

नई दिल्ली | एजेंसी: अपने क्षेत्रीय चैनलों को अधिक मनोरंजक और आकर्षक बनाकर दूरदर्शन अपनी सरकारी प्रसारक की नीरस और उबाऊ छवि तोड़ने की तैयारी कर रहा है. दूरदर्शन देश के दूरदराज क्षेत्रों में अपना विस्तार करेगा और अधिक स्थानीय प्रतिभाओं को रोजगार देगा. यह सबकुछ दर्शक संख्या के तरीकों पर एक नए अध्ययन पर निभर होगा.

सूचना एवं प्रसारण सचिव बिमल जुल्का ने बताया कि यह अध्ययन एक व्यक्तिगत समूह, टैम मीडिया अनुसंधान द्वारा किया जा रहा है. इसके आंकड़े उपयोगी होंगे.

जुल्का ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, “टैम पीपलमीटर का आकार बढ़ा रहा है. आंकड़े यह जानने में मदद करेंगे कि कौन से चैनल देखे जा रहे हैं. यह दूरदर्शन और अन्य निजी चैनलों को अपनी योजनाओं के लिए मददगार साबित होगा.”

पीपलमीटर दर्शक माप उपकरण है जो टीवी और केबल देखनेवालों के व्यवहार की गणना करता है. उन्होंने बताया कि पीपलमीटर अध्ययन में सरकार की भागीदारी नहीं है.

पीपलमीटर के बारे में मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि टैम ये मीटर लोगों के घर में लगाएगी, जिससे यह पता चलेगा कि कौन सा चैनल, किसने और कब देखा. अध्ययन सरकार को लोगों द्वारा प्राथमिकता दिए जाने वाले चैनलों, और टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) का सही आंकड़ा देगा.

पीपलमीटर के साथ एक रिमोट भी होगा जिसमें खास बटनें होंगी जिसमें घर के हर सदस्य के लिए खास बटन होगी. सदस्य जब तक खास बटन नहीं दबाएगा टीवी खुलेगा नहीं.

उन्होंने बताया कि चेन्नई, हैदराबाद और मध्य प्रदेश में दो महीने पहले ही पीपलमीटर लगने शुरू हो गए हैं.

जुल्का ने बताया कि कार्यक्रमों के विषय में सुधार के लिए उन्होंने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में एक बैठक ली है.

उन्होंने कहा, “उस क्षेत्र में 31 बोलियां बोली जाती हैं. हमें लगता है कि हमारे कार्यक्रमों मे हर बोली होनी चाहिए.”

उन्होंने कहा, “दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए दूरदर्शन के सामने उपकरण, कर्मचारी और अधोसंरचना बढ़ाने जैसी ढेर सारी चुनौतियां हैं. इसके बाद ही दर्शक संख्या बढ़ेगी.”

सरकार सीमावर्ती इलाकों में उच्च क्षमता वाले ट्रांसमीटर लगाने की योजना बना रही है. जुल्का ने बताया, “पहुंच बढ़ाने के लिए हमने दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो से उच्च क्षमता वाले और ट्रांसमीटर लगाने को कहा है.”

मंत्रालय से स्थानीय युवाओं के रोजगार के बारे में उन्होंने बताया, “उन्हें संविदा के आधार पर लिया जा सकता है. इससे रोजगार देने में मदद मिलेगी और लोगों की पसंद के विषयों के बारे में भी पता चलेगा.”

देश के लगभग 750 चैनलों में से दूरदर्शन के 21 चैनल हैं. इसके अलावा लोकसभा टीवी और राज्यसभा टीवी भी हैं तथा दो चैनल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संचालित हैं.

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