छत्तीसगढ़

छग का आर्थिक सर्वेक्षण- गरीबी बढ़ी

त्वरित टिप्पणी- छत्तीसगढ़ के आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 के मुताबिक राज्य में गरीबी बढ़ी है. इसी आर्थिक सर्वेक्षण से जो बात निकलकर आ रही है उसके अनुसार यदि सरकार आने वाले राज्य के बजट में कोई बड़ा कर वृद्धि नहीं करती है तभी मूल्य स्थिर रहेंगे अन्यथा महंगाई और बढ़ेगी. आर्थिक मामलों के जानकारों ने छत्तीसगढ़ खबर से यह बात कही है.

आधार वर्ष यानि स्थिर मूल्यों के हिसाब से कृषि एवं संबंधित क्षेत्र (कृषि, पशुपालन, मत्स्य एवं वन) में वृद्धि 0.47% है जबकि सीपीआई के हिसाब से 12.76% है. ठीक इसी समय सूखे के कारण फसल कम हुई है. इसका मतलब साफ है कीमतों मे वृद्धि हुई है और लोगों की वास्तविक आय मे कमी हुई है.

उसी तरह उत्पादन क्षेत्र में खनन और विद्युत मे वृद्धि हुई है परंतु अन्य औद्योगिक उत्पाद खासकर लोहे और उपभोक्ता सामग्री में अन्य धातु आदि मे भारी कमी आयी है. स्पंज आयरन की फैक्ट्रियां बंद हैं. इसका सीधा मतलब है कि बिजली और पानी महंगी हुई है और कुल मिलाकर जो गरीब है वो और गरीब ही हुए हैं.

आय का बड़ा हिस्सा उसके खान-पान, इलाज और शिक्षा और सम्पत्ति कर मे निकल जा रहा है. जिससे सेवा क्षेत्र मे 14.30% की वृद्धि दिख रही है. इसका सीधा अर्थ है आने वाले बजट में कोई बड़ा कर वृद्धि सरकार नही करती है तभी मूल्य स्थिर रहेंगे वर्ना महंगाई और बढेगी.

आजकल सकल घरेलू उत्पादन का आकड़ा सरकारें एक अलग तरह से पेश कर रहीं हैं. सकल घरेलू उत्पादन के लिये कुल जितने सामानों का उत्पादन हुआ होता ता उसके आधार पर इसकी गणना की जाती थी परन्तु आजकल उसके बजाये कितना मुनाफा बढ़ा है उसके आधार पर सकल घरेलू उत्पादन की गणना की जाती है.

उदाहरण के तौर पर पहले यदि किसी साल उत्पादन 100 टन हुआ करता था तो उसे गिना जाता था परन्तु आजकल भले ही उत्पादन 100 टन से घटकर 80 टन हो गया हो परन्तु भाव बढ़ने से जो मुनाफा होता है उसके आधार पर सकल घरेलू उत्पादन की गणना की जाती है. जबकि वास्तविकता में सकल घरेलू उत्पादन घटा होता है परन्तु मुनाफा बढ़ने के आधार पर इसमें बढ़ोतरी दिखा दी जाती है जो मुनाफा कमाने वाले व्यापारी की तिजोरी के बढ़ते वजन का घोतक होता है.

इस तरह से सकल घरेलू उत्पादन के साथ आकड़ों की बाजीगरी की जाती है. इसका कई देशों ने विरोध किया है. और तो और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने भी इसे गलत बताया था.

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ का आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 विधानसभा में मंगलवार को पेश किया गया. जिसके अनुसार “अग्रिम अनुमान वर्ष 2015-16 में स्थिर भावों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद बाजार मूल्य पर वर्ष 2014-15 की तुलना में 7.07 प्रतिशत वृद्धि अनुमानित है. राज्य में कृषि एवं संबंधित क्षेत्र (कृषि, पशुपालन, मत्स्य एवं वन) में 0.47 प्रतिशत, उद्योग क्षेत्र (निर्माण, विनिर्माण, खनन एवं उत्खनन, विद्युत, गैस तथा जल आपूर्ति सम्मिलित) में 7.07 प्रतिशत एवं सेवा क्षेत्र में 9.81 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है.”

जबकि ” अग्रिम अनुमान के आधार पर वर्ष 2015-16 में प्रचलित भावों पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (बाजार मूल्य) वर्ष 2014-15 के रू. 2,22,990 करोड़ से बढ़कर रू. 2,51,447 करोड़ होना संभावित है. इस अवधि में राज्य का सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन (आधार मूल्य) रु. 2,10,813 करोड़ से रू. 2,34,793 करोड़ होना अनुमानित है.
राज्य का सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन में कृषि एवं संबंधित क्षेत्र (कृषि, पशुपालन, मत्स्य एवं वन) में रू. 42,652 करोड़ से बढ़कर रू. 47,778 करोड़, उद्योग क्षेत्र (निर्माण, विनिर्माण, खनन एवं उत्खनन, विद्युत, गैस तथा जल आपूर्ति सम्मिलित) में रू. 90,828 करोड़ से बढ़कर रू. 98,625 करोड़ एवं सेवा क्षेत्र में रू. 77,332 करोड़ से बढ़कर रू. 88,390 करोड होना सम्भावित है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में प्रतिशत वृद्धि क्रमशः 12.76%, 11.38% 12.02%, 8.58% एवं 14.30% आंकलित है.” (जेके कर द्वारा नंद कश्यप तथा बादल सरोज से बातचीत के आधार पर)

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