बिलासपुर

सरकारी स्कूलों में अब हर हफ्ते परीक्षा

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में अक्टूबर से हर हफ्ते परीक्षा होगी. पहली से आठवीं तक की कक्षाओं के लिए सोमवार तो नौवीं से बारहवीं के लिए हरेक गुरुवार का दिन तय किया गया है. संस्था प्रमुख महीने की रिपोर्ट 10 तारीख तक जिला कार्यालय भेजेंगे, नहीं तो उनका वेतन रोक दिया जाएगा. स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूली व्यवस्था में कई और भी बदलाव किए हैं. बिलासपुर के ज़िला शिक्षा अधिकारी हेमंत उपाध्याय ने ज़िले के तमाम स्कूलों को इस आशय के निर्देश जारी किये हैं.

स्कूली शिक्षा को लेकर छत्तीसगढ़ की देश भर में किरकिरी हुई है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट में यह राज खुला कि आठवीं तक के बच्चों को अक्षर ज्ञान नहीं है. इस रिपोर्ट के बाद सरकारी मशीनरी की नींद अब टूटी है और इस शैक्षणिक सत्र को शिक्षा उन्नयन वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है.

स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप ने 16 सितंबर को राजधानी में प्रदेश के सभी जिला शिक्षाधिकारियों की बैठक ली, जिसमें साप्ताहिक मूल्यांकन से लेकर त्रैमासिक, अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षा को फारमेटिव के बजाय लिखित तौर पर लेने को कहा गया है.

ये हुए बदलाव
साप्ताहिक मूल्यांकन
साप्ताहिक परीक्षा अनिवार्य होगा. इसके लिए कक्षा के हिसाब से दिन तय किए गए हैं, जिला एवं ब्लाक स्तरीय अफसरों को पूरे दिन किसी न किसी स्कूल में मौजूद रहने को कहा गया है.

अभिव्यक्ति
हरेक स्कूल में 20 से 25 मिनट का एक और कालखंड होगा, जिसे अभियक्ति का नाम दिया गया है. इस खंड में छात्र-छात्राएं अपने को अलग-अलग माध्यम से व्यक्त करेंगे. आशय यही है कि विद्यार्थी के भीतर की प्रतिभा, रचनात्मक सोच को बाहर लाया जा सके.

मार्गदर्शन केंद्र
हरेक जिले में छात्र-छात्राओं के अलग-अलग मार्गदर्शन केंद्र खोले जाएंगे. यहां महाविद्यालयों के विषय विशेषज्ञ बुलाए जाएंगे, जो 10वीं और 12वीं के बच्चों की काउंसलिंग करेंगे. छात्र-छात्राओं को बताया जाएगा कि भविष्य में उन्हें किस विषय के साथ पढ़ाई करनी चाहिए. शिक्षा से जूड़े तमाम समस्याओं का निराकरण भी यहीं होगा.

आने-जाने का समय दर्ज करेंगे शिक्षक
संस्था प्रमुख, शिक्षक से लेकर स्कूल का हरेक कर्मचारी-अधिकारी अपने स्कूल पहुंचने और छोडऩे का समय उपस्थिति पंजी में दर्ज करेंगे. मनमर्जी से आने-जाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए व्यवस्था दी गई है.

और यह भी…

– स्कूली बच्चों को शौचालय के उपयोग के लिए प्रेरित किया करेंगे.
– शौचालय बंद मिला तो संस्था प्रमुख पर कार्रवाई होगी.
– स्वीपर से हर दिन कम से कम दो घंटे काम लिया जाएगा.
– स्वीपरों के वेतन का भुगतान शाला प्रबंधन समिति के माध्यम से होगा.
– स्कूल में संकेतक होगा, जिसमें उल्लेख होगा कि छात्र-छात्राओं को इस महीने क्या-क्या सिखाना-पढ़ाना है.

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