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राजन की चिंताएं

असग़र वजाहत | फेसबुक पर
राजन की चिंताएं
पांच कहानियां
अ.व.
1.
राजन- राजगुरु हम बहुत परेशान हैं।
राजगुरु- क्यों राजन?
राजन- हत्याएँ बहुत हो रही हैं।
राजगुरु- राजन क्या आप चाहते हैं कि हत्याएँ न हों?
राजन- नहीं राजगुरु।
राजगुरु- फिर क्या चाहते हैं राजन?
राजन- हत्याओं की चर्चा न हो।

2.
– राजगुरु हम बहुत परेशान हैं।
– क्यों राजन, क्या बात है?
– हमारे राज्य में बेरोजगारी बहुत बढ़ गई।
– तो क्या राजन चाहते हैं बेरोजगारी खत्म हो जाए?
– नहीं, हम नहीं चाहते हैं।
– तो राजन क्या चाहते हैं?
– बेरोज़गारी की चर्चा न हो।

3.
– हम बहुत परेशान हैं राजगुरु।
– क्यों राजन क्या बात है?
– राज में महंगाई बहुत बढ़ गई है। राज के साहूकार बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं।
– तो राजन आप चाहते हैं कि साहूकार बड़ा मुनाफा न कमाएं?
– नहीं राजगुरु, हम चाहते हैं कि साहूकार बड़ा मुनाफा कमाएं।
– हे राजन, फिर समस्या क्या है?
– समस्या यह है कि लोग इसे समझ रहे हैं।

4.
– राजगुरु हम इतिहास में अमर हो जाना चाहते हैं
– वे तो आप हो ही गए हैं राजन।
– हमें लगता है, अभी इतिहास में हमें जगह नहीं मिली है।
– क्यों राजन ऐसा क्यों लगता है?
– इतिहास में भीड़ बहुत है। सारी जगहें भर गई हैं। कोई सीट खाली नहीं है।
– एक रास्ता है राजन।
– क्या?
– इतिहास में जो लोग जमे बैठे हैं, उन्हें वहां से हटाया जाए।
– पर यह कैसे किया जाएगा राजगुरु?
– यह तो बहुत सरल काम है राजन।
– कैसे?
– हमें कुछ चोरों की आवश्यकता पड़ेगी राजन।
– चोरों की? चोर क्या करेंगे?
– चोर ही सब कुछ करेंगे राजन।
– क्या ?
– इतिहास में जो जमे बैठे हैं, उनकी कोई प्रिय चीज लेकर कोई चोर भागेगा।
– क्या चीज़?
– जैसे चश्मा या चरखा या वास्कट या चूड़ीदार पैजामा….चोर लेकर भागेगा।
– तो उससे क्या होगा?
– निश्चित रुप से ‘वे’ चोर का पीछा करेंगे
– फिर?
– फिर उनकी कुर्सियां खाली हो जाएंगी, जिन पर आप आराम से बैठ जायेंगे।

5.
– हमें कुछ शब्द पसंद नहीं है राजगुरु।
– कौन से शब्द राजन?
– गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, विरोध, शिक्षा, ये शब्द हमें बिल्कुल पसंद नहीं हैं इनका क्या किया जाना चाहिए ?
– मेरे विचार से इनकी हत्या कर देना चाहिए।
– बहुत सही कह रहे हो राजगुरु लेकिन कैसे?
– मैं एक-एक शब्द को पकड़कर लाता हूं। आप उसे गोली मारते चले जाइये।
– हां ठीक है सबसे पहले गरीबी को लाओ।
गरीबी को गोली मार दी गई। बेरोजगारी को गोली मार दी गई। विरोध को भी गोली मार दी गई। गोली मारते-मारते राजन का निशाना चूक गया। एक गोली राजगुरु को लगी। राजगुरु मर गए और जिन शब्दों की हत्या की गई थी, वे सभी जीवित हो गए।
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(मध्य काल में लिखी गई एक पुस्तक के कुछ कटे-फटे पुराने पन्नों पर ये कहानियां लिखी हुई थीं। किताब खो गई है। मैंने अपनी याददाश्त के बल पर उन कहानियों को फिर से लिखने की कोशिश की है। अगर कोई गलती रह गई हो तो माफ किया जाए।)

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