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छत्तीसगढ़ी फिल्मों की गोल्डन जुबली

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ी फिल्मों को 50 बरस पूरे हो गए. 16 अप्रैल 1965 को पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कही देबे संदेश’ प्रदर्शित हुई थी. इस सौभाग्यशाली पल को और यादगार बनाने के लिए दो दिन पूर्व एक समारोह का आयोजन किया गया. समारोह में छत्तीसगढ़ी फिल्मों के जनक मनु नायक को सम्मानित किया गया. इस पल के गवाह बने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के पितामह मोहनचंद सुंदरानी, विधायक श्रीचंद सुंदरानी, छत्तीसगढ़ी फिल्मों को प्रोत्साहित करने में सबसे आगे रहने वाले एडीजी राजीव श्रीवास्तव, पत्रकार तपेश जैन, अरुण बंछोर, पीएलएन लक्की, विनोद डोंगरे, फिल्म अभिनेता बॉबी खान, दीपक श्रीवास्तव.

इस अवसर पर मनु नायक ने अपने पहली फिल्म के निर्माण का अनुभव बताते हुए कहा, “माटी का कर्ज चुकाने के लिए मैंने फिल्म बनाई थी. उस समय फिल्म बनाना बड़ी चुनौती थी, फिर भी मैंने ये साहस किया. छत्तीसगढ़ी फिल्म को मैंने मुंबई से जोड़ा. गायक, कैमरामैन, कलाकार सब मुंबई से लेकर आया था. आज तो बहुत संसाधन हैं, फिर भी अच्छी फिल्म नहीं बन पा रही है. मेरी फिल्म छुआछूत पर आधारित थी.”

छत्तीसगढ़ी फिल्मों के भीष्म पितामह मोहनचंद सुंदरानी ने इस ऐतिहासिक पल के किए सभी को बधाई दी. छत्तीसगढ़ी फिल्मों को प्रोत्साहित करने में सबसे आगे रहने वाले एडीजी राजीव श्रीवास्तव ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सफर को याद करते हुए बताया, “पहली फिल्म ‘कही देबे संदेस’ को मां की गोद में बैठकर देखा था जो आज भी मेरे लिए अविस्मरणीय है और आज 50 साल बाद उनके निमार्ता के साथ हूं, ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है.”

विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को बढ़ावा मिले इसके लिए सब मिलकर प्रयास करें. छोटे-छोटे जगहों में थिएटर बने और इसके लिए सरकार की मदद लेनी चाहिए.

Chhattisgarhi Movie Song – Maya DeDe Mayaru

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