प्रसंगवश

स्वास्थ्य पर बजट नहीं बढ़ा

त्वरित टिप्पणी | जेके कर: केन्द्र सरकार के बजट प्रस्ताव में वास्तव में स्वास्थ्य पर बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. जो कुछ भी बढ़ोतरी के दावे किये जा रहें हैं वे दरअसल में पिछले साल की तुलना में बढ़ी हुई महंगाई में खो जायेंगे. जबकि पिछले साल की तुलना में देश में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारी बढ़ी है. लोगों की जीवन शैली के कारण उससे होने वाले रोग जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, डायबिटीज तथा मनोरोग कम होने के बजाये बढ़ें ही है.

इस हालात में उम्मीद की जा रही थी कि केन्द्र सरकार कम से कम अपने बजट में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा उसके शोधों पर होने वाले खर्चे में बढ़ोतरी कर अपने लोक कल्याणकारी सरकार होने की दिशा में आगे बढ़ेगी परन्तु ऐसा नहीं हुआ है.

वित्त मंत्री ने साल 2016-17 के बजट में स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण के लिये बजट में 37061.55 करोड़ रुपयों का प्रस्ताव रखा है. पिछले साल इसके लिये संशोधित बजट 32819.00 करोड़ रुपयों का था. एक नज़र में देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि स्वास्थ्य पर बजट में 12.92 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. उसी तरह से साल 2015-16 के संशोधित बजट में स्वास्थ्य पर होने वाले शोध में 1012.60 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव था. जिसे इस साल के बजट 2016-17 में 1144.80 करोड़ का किया गया है. इसे भी 13.05 फीसदी बढ़ाया गया है.

किसी भी खर्चे की तुलना पिछले साल के बढ़ी हुई महंगाई के आधार पर किया जाता है. इसके लिये हम सोने के मूल्य के आधार पर इन बजट प्रस्तावों को परखने का प्रयास करेंगे. कुछ अर्थशास्त्री हमसे जुदा राय रखने वाले हो सकते हैं परन्तु यही वह मानक है जिसमें आकड़ों की बाजीगरी करने की कोई गुंजाइश नहीं रहती है.

24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का मूल्य फऱवरी 2015 में 25,997 रुपया था जो आज की तारीख में 29,495 रुपया का है. इस तरह से सोने के मूल्य में 13.45 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसलिये पिछले साल के किसी खर्च में 13.45 फीसदी की बढ़ोतरी को शून्य माना जाना चाहिये.

साल 2015-16 के बजट में स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण के लिये संशोधित बजट था 32819.00 करोड़ रुपयों का. साल 2016-17 के बजट में स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण के लिये बजट है 37061.55 करोड़ रुपयों का. अर्थात् इसे 12.92 फीसदी बढ़ाया गया है जबकि वास्तविक महंगाई 13.45 फीसदी बढ़ी है. इस तरह से स्वास्थ्य के लिये जो बजट बढ़ाया गया है वह जमीनी स्तर पर नज़र नहीं आने वाला है.

इसी तरह से स्वास्थ्य पर होने वाले शोध पर भी वास्तविक खर्च को घटाया गया है. साल 2015-16 के संशोधित बजट में स्वास्थ्य पर होने वाले शोध में 1012.60 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव था. जिसे इस साल के बजट 2016-17 में 1144.80 करोड़ का किया गया है. इसे भी महज 13.05 फीसदी बढ़ाया गया है. जाहिर है कि बढ़ी हुई वास्तविक महंगाई जोकि 13.45 फीसदी है इसे शून्य के स्तर पर ला देती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!