प्रसंगवश

तंबाकू, सफलता और आप

वरुण शर्मा
शायद हम कभी नहीं मिले पर मैं आपको जानता हूं. आपने तंबाकू चबाना पढ़ाई के दिनों से शुरु किया. तुरंत ही यह आपके व्यक्तित्व का, आपके व्यवहार का, आपके जीवन का हिस्सा बन गया. फिर एक दिन आपके मुंह में छाला हुआ और आपने घबराकर सोचा “हे भगवान, प्लीज़ यह कैंसर न हो” तब आपने पहली बार तंबाकू छोड़ने की ठानी. पर आपका वह छाला ठीक हो गया और फिर किसी बात पर आपने एक पुड़िया ले ली.

उस समय के बाद से आपने तंबाकू छोड़ने की कई कई कोशिशें की. आपने अनगिनत ‘अंतिम सीमाओं’ को तोड़ा जैसे “कालेज पूरा होते ही छोड़ दूंगा”, “नौकरी मिलते ही छोड़ दूंगा”, “मैं तंबाकू (20, 25, 30, 35) का होते ही छोड़ दूंगा”, “बच्चा होते ही छोड़ दूंगा”, “थोड़ा काम हल्का हो जाए फिर छोड़ दूंगा”.

अनगिनत नए साल आए और चले गए, अनगिनत तय तारीखें, पर जब भी तंबाकू छोड़ने का दिन आता तो वह तंबाकू छोड़ने का सही समय नहीं होता. और यदि आप कुछ समय तंबाकू से दूर रहते भी तो कोई चिंता, तनाव आपकी जिंदगी में आ जाता और आपको वापस जाना ही पड़ता (ऐसी क्या समस्या थी?) या आप किसी और के लिए तंबाकू छोड़ते (जैसे पत्नी या बच्चे आदि) पर वे आपको नाराज कर देते और आप फिर तंबाकू चबाने लगते. आखिर आप अपनी मर्जी के मालिक हैं और कोई भी आप पर राज नहीं चला सकता.

कुछ समय बाद, आप अपने आस पास के लोगों को यह बताना भी छोड़ देते हैं कि आप तंबाकू छोड़ रहे हैं क्योंकि आप बार बार फिर ‘शुरु कर देने की’ शर्मिंदगी से तंग आ गए हैं. आप अपने आप को कई सालों तक इस बात से ढंक लेते हैं कि ‘आप तंबाकू नहीं छोड़ना चाहते’ ताकि कोई ये न कहे कि आप पूरी तरह तंबाकू के आदी हो गए हैं. आखिर ये कोई ‘शराब या ड्रग की लत’ तो नहीं है न. और इसीलिए आप किसी से मदद भी नहीं मांगते क्योंकि आप कोई कमजोर दिमाग के दुर्व्यसनी नहीं हैं जिसे ‘मदद की जरूरत है’. और इसलिए भी कि लोग आपको समझेंगे नहीं क्योंकि उनकी नजर में तो यह एक मूर्खतापूर्ण और भद्दी ‘थूकने’ की आदत है.

अंततः आप स्वयं को अपनी इस लत के हवाले कर देते हैं. आप इसे सही ठहराने की कोशिश करते हैं, जैसे ‘एक ही तो आदत है’, ‘कैंसर होने की संभावना बहुत कम’ बढ़ा चढ़ा कर बोली हुई ‘भ्रामक’, बेहद ज्यादा चबाने वाले ’गंवार’ दांत न मांजने वालों को है’, ‘मुझे तंबाकू काम करने’, ‘पढ़ने’, ‘एकाग्रता’, ‘उपयोगी होने’, ‘खेलने’, ‘जीने के लिए चाहिए’, ‘मैं तंबाकू के साथ खुश हूं’, ‘कैंसर होता हो तो हो जाए हर कोई किसी न किसी कारण से मरता ही है’ …और अब आप कई सालों से तंबाकू चबा रहे हैं और आप उसे छोड़ नहीं सकते तब भी जब आप छोड़ना चाहते हैं.

तब आपको ये पर्चा मिलता है.

मैं आपके बारे में यह सब जानता हूं क्योंकि आज से एक साल पहले मैं भी आप था. मै तंबाकू रोज, लगातार चबाता था. पिछले दस सालों से भी अधिक समय से चबाता रहा था. मैं दिन भर तंबाकू चबाता रहता और उसका रस गटकता रहता. मैं बहुत छिप कर तंबाकू चबाता था (केवल मेरे साथी ही इस बात को जान पाते थे कि मैंने मुंह में दबा रखा है). मैं कोई रिक्शावाला, किसान, मजदूर या गांव देहात में रहने वाला कोई अनपढ़ ग्रामीण नहीं हूं, मैं आपकी तरह एक अच्छे परिवार का पढ़ा-लिखा मध्यम वर्ग का व्यक्ति हूं, पेशे से वकील हूं और हां, मैं तंबाकू की लत का शिकार हूं.

मैं एक बड़े झूठ में जी रहा था, मैं इस बात पर विश्वास करता था कि तंबाकू ही मेरी सफलता की वजह है क्योंकि मैं इसके कारण ही पूरी एकाग्रता से लिख-पढ़ पाता हूं. मैं तंबाकू के बिना अपनी जिंदगी या किसी भी चीज का मजा नहीं ले पाता. आप कहते हैं कि तंबाकू छोड़ दूं ? मैं सांस लेना न छोड़ दूं !

अंदर से मैं डरता था (बहुत कठिन है), मैं कमजोर था (नहीं कर पाउंगा), मैं स्वार्थी था (मैं छोड़ना ही नहीं चाहता) मैंने उम्मीद छोड़ दी थी कि कभी तंबाकू से मुक्त हो पाउंगा. तब ये परचा मुझे मिला. आइए, साथ में इस लत से मुक्त हों.

आपको इस पत्र के रूप में एकदम सही अस्त्र मिल गया है, जिससे आप तंबाकू की लत से आजाद हो जाएंगे. हमेशा के लिए.

सबसे पहले इस सच को स्वीकारें कि आप तंबाकू की लत में हैं. ‘मैं जब चाहूं छोड़ सकता हूं’ यह बात आज से पहले कितनी बार झूठ साबित हो चुकी है, आप जानते हैं. आपको तंबाकू छोड़ने के लिए साथ चाहिए और मदद भी.
इन बातों का पालन करें-

1. वादा करें – खुद से वादा कीजिए कि आप आज तंबाकू नहीं खाएंगे. अपने इस वादे को रोज दोहराएं, यदि जरूरत पड़े तो दिन में कई बार दोहराएं. अपने इस वादे को अपनी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण फैसला बनाएं इतना महत्वपूर्ण कि बाकी सारी बातें छोटी हो जाएं. ……क्यों? आप जानते हैं क्यों.

2. अपने लिए एक ‘कारण’ ढूंढें – मुझसे पूछेंगे तो मैंने तंबाकू खुद को आत्मग्लानि से मुक्त करने के लिए छोड़ा, अपने दिमाग को तंबाकू मुक्त करने के लिए. मेरे परिवार और दोस्तों ने मेरा साथ दिया. एक बेहतर इंसान, एक बेहतर पिता, पति बनने के लिए. आपका ‘कारण’ आपके तंबाकू मुक्त जीवन का नींव रखेगा.

आपकी तंबाकू मुक्ति यात्रा में आपका सहारा. आप अपने जीवन की परिस्थितियों को नियंत्रित नहीं कर सकते पर अपने आप को कर सकते हैं. तंबाकू चबाने और चबाते रहने का न तो कोई उचित कारण है और न ही कभी होगा. बेहतर है इस आदत की ओर पीठ करें और जितना दूर हो सके चलते जाएं क्योंकि आप अब तंबाकू नहीं खाते. तो पहले अपने लिए एक कारण ढूंढें किसी और के लिए नहीं अपने लिए तंबाकू छोड़ें.

3. कुछ भी कर जाएं – अब जबकि आपके पास तंबाकू छोड़ने का एक कारण है तो आपको खुद को ‘शारिरिक और मानसिक बदलावों के लिए तैयार करना है. तंबाकू को आपके ‘शरीर को पूरी तरह छोड़ने में 72 घंटे लगते हैं उसके बाद उसकी आदत से ही मुकाबला करना होता है. तंबाकू चबाने के दो घंटे के अंदर ही वह पुनः चबाने हेतु तीव्र इच्छा पैदा करता है क्यांेकि हर दो घंटे में हमारे रक्त में निकोटीन की मात्रा आधी रह जाती है. आपको कुछ भी कर जाने की नीति में चलना है. कुछ भी यानि कुछ भी. आपको सरदर्द होगा, मुंह में दर्द होगा, पेट में जलन, गुस्सा आना, धुंधला दिखना कुछ भी हो सकता है. आपको सिर्फ इतना याद रखना है कि तंबाकू चबाना इसका इलाज नहीं है. अपने कारण को कस कर पकड़े रहें और अपने दिमाग को कोई भी तर्क करने का मौका न दें.

‘सिर्फएक बार खा लेता हूं’ इस तर्क से सबसे ज्यादा बचना होगा क्योंकि एक बार ढील दी तो सब खत्म है. जब भी अत्यधिक इच्छा हो तो अपने खास दोस्तों या परिवार के सदस्य को फोन कर डालें और जो मन में आ रहा हो कहने लगें. आपके दोस्त और परिवार वाले आपकी मदद करेंगे. यह एक प्रमाणित तथ्य है कि तंबाकू खाने की सबसे तीव्र इच्छा भी 3 मिनट से अधिक नहीं टिकती और एक दिन में अधिक से अधिक 6 बार तीव्र इच्छा होती है वो भी 24 घंटे तंबाकू खाने वालों को . अब सोच लीजिए कि आपको दिन में अधिक से अधिक केवल 18 मिनट की ही कठिनाई झेलनी है और वह भी केवल कुछ ही दिनों तक. हिम्मत करें तंबाकू छोड़ना संभव है.

4. सारे लक्षण अस्थायी हैं और इस बात का प्रमाण हैं कि आपका ‘शरीर तंबाकू से दूर जाने के लिए खुद को तैयार कर रहा है. ये बहुत कठिन लगता है पर किया जा सकता है. खुद को तैयार करें मैं इस मिनट नहीं चबाउंगा. बस एक मिनट और. बस यह मिनट निकालना है. फिर एक मिनट और. सोचिए कि आप एक एक कैद में हैं और आपको फांसी दी जानी है आपको एक मौका मिला तो आप भाग जाने के लिए किस स्तर तक प्रयास करेंगे.

क्या आप आजाद होने के लिए किसी भी हद तक दर्द नहीं सहेंगे. चाहे जो हो जाए यहां से भाग जाउं सोचकर लगातार भागते नहीं रहेंगे. आप कुछ भी करेंगे. आप आईने में खुद को देखें तो आपको दिखेगा कि आप एक जेल में हैं, ऐसी जेल में जहां मौत की सजा पाए कैदी रहते हैं. तंबाकू की जेल में . आप एक झूठ की जेल में हैं और कैंसर पैदा करने वाली भूरी-हरी तंबाकू की पत्तियों की मानसिक जंजीरों में जकड़े हुए और आपकी मौत की सजा?

कैंसर अस्पतालों में जाकर देखें, डाक्टरों से पूछें. जी हॉं तंबाकू से मौत होती है. आप अपनी खुद की बनाई हुई जेल में कैद हैं और अब आप उस जेल से छूटने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं. मेरे लिए कुछ भी कर जाने का मतलब था सारा दिन चुइंग गम चबाना, टाफी चबाना, रूई के फाहे को माउथवाश में डुबोकर दांतों और गाल के बीच रख लेना, प्रार्थना, कसरत, दौड़, पानी पीना, अधिक चाय पीना, काम से जल्दी छुट्टी लेकर घर चले जाना, खुद पर नाराज होना, तंबाकू बनाने वाली कंपनियों को जी भर के कोसना, दीवार को देखते रहना. कुछ भी. अगर आपको निकोटीन चुइंगगम से आसानी होती है तो वह भी. हर चीज आपके पास होनी चाहिए पहले दिन से ही. और अपने से जुड़े हर इंसान को बता दें कि आप तंबाकू छोड़ रहे हैं. पुराने सारे पुल तोड़ दें वापस जाने का कोई रास्ता न बचाऐं.

यदि आप दुबारा तंबाकू खाएं तो बिना सार्वजनिक ‘शर्म के न खा पाएं. तंबाकू खाने को एक ‘शर्मनाक बात बना डालें. यदि आप हारे तो आपको सबके सामने माफी मांगनी पड़े इतनी बड़ी बात बनाएं. इस जेल से दूर उठा आपका हर एक कदम आपको आजादी की ओर ले जाएगा. अपनी इतनी उर्जा और समय अपने इस लक्ष्य को दें कि आपका तंबाकू छूट ही जाए.

5. दैनिक संकल्प- आपको अपनी लड़ाई दैनिक आधार पर लड़नी है. मैं भी पूरी तरह तभी तंबाकू से मुक्त हो पाया जब मैने इस रहस्य को समझा. तंबाकू हमें दो घंटे से आगे की कोई भी बात सोचने नहीं देता. जब हम हमेशा के लिए तंबाकू छोड़ने की बात सोचते हैं तो हमारे मष्तिष्क में निकोटीन सोखने के लिए बने लाखों तंतुओं में खलबली मच जाती है और वे हमे और अधिक तंबाकू चबाने के लिए प्रेरित करने लगते हैं.

दैनिक संकल्प अर्थात छोटा लक्ष्य हमारे अंदर के व्यसनी इंसान को इस बात की प्रेरणा देता है कि वह कुछ देर के लिए तंबाकू से दूर रहे. इस तरह थोड़ी थोड़ी दूरी तय करते करते आप इस व्यसन से दूरी बनाने में सफल हो जाते हैं और फिर दैनिक रुप से संकल्प करते हुए आप जीवन भर तंबाकू से दूर हो जाते हैं. मेरा यकीन मानिए मैं आज 365 दिन दूर हूं जबकि मैं एक दिन इस तंबाकू से दूर रहने के लिए भगवान से प्रार्थना करता था. आप इसे कर सकते हैं . अपने आप को तर्क कुतर्क में न लगाएं बस अपना कारण पकड़ कर रखें. रोज दिन गिनें. तंबाकू के बगैर प्रत्येक दिन एक उपलब्धि है और इस उपलब्धि पर गर्व महसूस करें.

आपका निर्णय और प्रत्येक दिन उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो बहुत मन होने पर भी हिम्मत नहीं कर पाते. आपको एक व्यसन ने जकड़ा है और आपको चाहिए कि इस सत्य के साथ रहें. अपने किसी मित्र को साथी बनाएं यदि कोई मित्र न हो तो इंटरनेट की मदद लें. तंबाकू से दूर रहने का अपना वादा रोज दोहराएं और रोज रात को सोने से पहले इस बात पर गर्व महसूस करें कि आपने गुलामी की जिंदगी से एक और दिन की दूरी बना ली है.

6. दर्द को होने दें- तंबाकू छोड़ने के ‘शुरुआती दिन कठिन होते हैं. आपको नींद नहीं आएगी, आप जरा जरा सी बात पर क्रोधित हो जाएंगे. आपको अपना दैनिक कार्य करने में भी तकलीफ होगी. सरदर्द आदि कई ‘शारिरिक परेशानियां आपको तंग करेंगी क्योंकि तंबाकू में उपस्थित निकोटीन हमारे ‘शरीर के प्रत्येक अंग को किसी न किसी रूप में परेशान करता रहा है और कई वर्षों के तंबाकू सेवन से हमारे मष्तिष्क का एक बड़ा हिस्सा ‘शारिरिक परेशानियों को छिपाने लगता है. परंतु एक बात तय है कि चाहे जैसी भी ‘शारिरिक परेशानी हो वह अस्थायी होगी और केवल कुछ दिनों में ही (अधिक से अधिक 2-3 सप्ताह में ) आप पुनः सामान्य जीवन जीने लगेंगे और वह भी तंबाकू के बिना. प्रत्येक दिन आपको और अधिक मजबूत बनाता जाएगा.

7. सफलता का जमकर मजा लें – तंबाकू आपने खुद के लिए छोड़ी है. तंबाकू छोड़ने पर गर्व करें, आपने एक मिसाल कायम कर ली है. प्रत्येक दिन एक जीत है. खुद को पुरस्कार दें. अपनी पसंद की कोई चीज खरीदें उन पैसों से जो आपने तंबाकू न खाकर बचाए हैं. 10 दिन, दो सप्ताह, एक माह, 50 दिन, 100 दिन इस तरह से आप एक एक दिन कर धीरे धीरे इतने मजबूत हो जाएंगे कि बिना दिन गिने कई कई दिनों तक रह लेंगे. तंबाकू आपकी यादों का हिस्सा बन जाएगा. यदा कदा तंबाकू खाने की इच्छा जरुर होगी पर आप उसे आसानी से दबाने में सफल रहेंगे.

तंबाकू छोड़ने से आने वाले आत्मविश्वास से आपके जीवन के अन्य हिस्से भी मजबूत होंगे जिससे आपको गर्व, संतुष्टि और आत्मसम्मान मिलेगा. मैंने जब से तंबाकू छोड़ी है तब से मैं ज्यादा खुलकर जी पा रहा हूं. अब मुझे बार बार थूकने नहीं जाना पड़ता, मैं बिना डरे कहीं भी जा सकता हूं. यात्राएं करना आसान हो गया है और सबसे बड़ी बात कि मुझे इस बात की कोई फिक्र नहीं है कि मुझे तंबाकू चबाने का मौका कहां और कैसे मिलेगा. मैं वह इंसान बन पाया हूं जो मैं हमेशा से बनना चाहता था. आज से कुछ दिनों के बाद आप भी यही महसूस करेंगे. आज से ही ‘शुरुआत कीजिए. तंबाकू छूटता है.’

कुछ उपयोगी वेबसाईट्स
www.killthecan.org
www.thequit.org
www.forum.qssn.org

* लेखक छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं.

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