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भारत में हर साल होती हैं तीन लाख नवजात मौतें

नई दिल्ली:`सेव द चिल्ड्रन’ नामक एक गैर-सरकारी संस्था की सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में हर साल पैदा होने वाले तीन लाख से अधिक शिशु जन्म के 24 घंटों के भीतर मृत्यु का शिकार हो जाते हैं. संस्था के द्वारा तैयार की गई “स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स मदर्स रिपोर्ट” के मुताबिक भारत में 3,00,000 से ज्यादा शिशुओं की मौत ऐसे कारणों से होती है, जिससे उनका बचाव किया जा सकता है.

रिपोर्ट के आँकड़ों पर जाएं तो पूरे विश्व भर में हर साल होने वाली नवजात शिशुओं की मौतों का आंकड़ा दस लाख के करीब है. रिपोर्ट के अनुसार भारतीय शिशुओं की इन असमय मौतों के लिए मुख्य कारण प्रसव के दौरान आने वाली दिक्कतें, समय से पहले जन्म व इंफेक्शन और जीवन रक्षा के लिए सस्ती सेवाओं तक पहुंच न होना हैं.

रिपोर्ट कहती है कि पिछले दो दशकों में भारतीय ज्यादा समृद्ध हुए हैं लेकिन इसका लाभ हर वर्ग तक नहीं पहुँचा है. इसके अनुसार राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति उदासीन रवैया स्वास्थ्य सेवाओं की इस बदतर स्थिति का जिम्मेदार है.

रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केंद्रों की कमी के चलते गर्भवती महिलाओं को अप्रशिक्षित दाइयों की सेवाएं लेनी पड़ती है, साथ ही डॉक्टरों की कमी के चलते कई नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को अपनी जान गवानी पड़ती है.

भारत के लिए सबसे ज्यादा चिंताजनक बात ये है कि उससे ज्यादा पिछड़ा समझे जाने वाले बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देश शिशु स्वास्थ्य के मामले में उससे कई बेहतर हैं. रिपोर्ट में भारत को 142वां स्थान वहीं पाकिस्तान और बांग्लादेश को क्रमशः 139वां और 136वां स्थान दिया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार विकसित देशों में अमरीका में नवजात शिशुओं की मौत का आंकडा सबसे ज्यादा है. अमरीका में हर साल 11300 नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है.

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