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गाय की डकार खतरनाक

नई दिल्ली | संवाददाता: वैज्ञानिक अब गायों की डकार को धरती के लिये खतरनाक बता रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि गाय और भैंसे के पगुराने यानी जुगाली करने से भी मिथेन गैस निकलती है. जिससे भारी मात्रा में प्रदूषण होता है.

असल में यह पहला अवसर नहीं है, जब अमरीका और विशेष कर नासा के वैज्ञानिक बताते रहे हैं कि भारतीय उपमाहद्विप में कैसे पालतू पशुओं के कारण ग्रीन हाउस गैस पर प्रभाव पड़ रहा है और ओजोन की परत छीज रही है.

पिछली सदी तक सूरज की पराबैगनी किरणों को सीधे धरती पर पहुंचने से रोकने वाली ओजोन की परत को लेकर वैज्ञानिक कहते रहे हैं कि इसे सीएफसी गैसें नुकसान पहूंचा रही हैं. सीएफसी गैसें यानी क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन के लिये अभी तक रेफ्रीजरेटर, एसी और छिड़काव करने वाली मशीनों को सर्वाधिक जिम्मेवार बताया जाता रहा है. जाहिर है, इसका सर्वाधिक उत्सर्जन विकसित देशों में होता रहा है.

लेकिन इन गैसों पर रोक के बजाये अमरीका जैसे देशों ने दूसरे देशों पर इनके उत्सर्जन पर रोक के लिये दबाव बनाया. हालांकि उसने अपने देशों में इस पर रोक की कोई पहल नहीं की. इसके कुछ सालों के भीतर ही धीरे से गाय और भैंस के मिथेन उत्सर्जन को मुद्दा बनाया गया. हालांकि इन मुद्दों में प्रदूषण फैलाने वाले भीमकाय औद्योगिक घराने शामिल नहीं थे.

अब एक बार फिर गाय-भैंस द्वारा मिथेन गैस उत्सर्जन का मुद्दा उठाया गया है. नासा का दावा है कि एक गाय साल भर में केवल डकार के कारण 80 से 120 किलो मीथेन निकालती है, जो किसी कार के बराबर है.

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