स्वास्थ्य

भारतवंशी ने ढूंढा नैनोव्हीकल

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: एक भारतीय ने ऐसे नैनोव्हीकल की खोज की है जिससे कैंसर जैसी बीमारियों में दवा को सीधे बीमार उत्तको तक पहुंचाया जा सकता है. दवाओं का दुष्प्रभाव जानलेवा बीमारियों के इलाज में एक बहुत बड़ा रोड़ा है, लेकिन वैज्ञानिकों के एक दल ने एक ‘नैनोव्हीकल’ का निर्माण किया है, जो दवा को सीधे उसके गंतव्य तक पहुंचा सकेगा, जिससे आसपास की कोशिकाओं, ऊत्तकों व अंगों को दवा के दुष्प्रभावों का सामना नहीं करना पड़ेगा.

शिकागो में एबवी जैव अनुसंधान केंद्र में अध्ययन के सह लेखक भारतवंशी अर्नब डे ने एक ई-मेल साक्षात्कार में कहा कि ‘गोल्ड नैनोपार्टिकल्स’ से बना नैनोव्हीकल मानव कोशिकाओं में परीक्षण के दौरान जहरीला नहीं पाया गया.

न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी डे ने कहा, “आदर्श तौर पर दवाओं को बीमार कोशिकाओं पर ही असर दिखाना चाहिए. हालांकि अन्य स्वस्थ कोशिकाओं को हानि पहुंचाए बिना दवाओं को बीमार कोशिकाओं तक भेजना मुश्किल है. स्वस्थ कोशिकाओं पर प्राय: दवाओं का दुष्प्रभाव देखा जाता है.”

दिल्ली विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के दल के साथ शोध के लिए सहयोग कर चुके डे ने कहा, “यह अवधारणा पर आधारित अध्ययन का सबूत है कि दवा को बिना स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित किए बीमार कोशिकाओं तक भेजना संभव है. जंतुओं में यह स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित करता है या नहीं, इसके लिए जंतुओं पर इसके व्यापक अध्ययन की जरूरत है.”

शोध दिल्ली विश्वविद्यालय के सुभो मजूमदार की प्रयोगशाला में किया गया.

अध्ययन के अन्य सह लेखक तनुश्री नंदी व सीमा गर्ग थीं, जो मजूमदार प्रयोगशाला में छात्रा हैं और नैनोपार्टिकल्स के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई है.

डे ने कहा, “प्रणाली की खूबसूरती यह है कि सैद्धांतिक तौर पर यह बीमार ऊत्तकों को निशाना बनाए. हम हालांकि दर्शा चुके हैं कि जब हम यकृत को केंद्रित करते हैं, तो अन्य उत्तकों को सक्षम रूप से निशाना बनाया जा सकता है.”

उन्होंने कहा, “इस वक्त किसी खास बीमारी के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी.”

दिल्ली विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर मजूमदार ने कहा कि नैनोव्हीकल के निर्माण के लिए शोधकर्ताओं ने नैनोव्हीकल द्वारा बीमार ऊत्तकों को निशाना बनाने के लिए एक ही वक्त में नैनोव्हीकल की सतह को दवाओं तथा ऊत्तकों के विशिष्ट अणुओं के साथ संशोधित किया.

मजूमदार ने कहा, “दवा के प्रतिरूप को हम यकृत तक पहुंचाने के लिए नैनोव्हीकल का इस्तेमाल करने में सफल रहे.”

अमरीकन एसोसिएशन ऑफ फार्मास्यूटिकल्स साइंटिस्ट्स द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘एएपीएस फार्मसाइटेक’ में प्रकाशित अध्ययन में खुलासा हुआ है कि नैनोव्हीकल बीमार ऊत्तकों को विशिष्ट तौर पर निशाना बनाता है, जिससे दवा के दुष्प्रभाव में कमी आती है. इसका एक फायदा यह है कि पूरी की पूरी दवा का इस्तेमाल केवल बीमार ऊत्तकों पर ही होता है, जिसके कारण बीमारी पर दवा के चिकित्सकीय प्रभाव में इजाफा होता है.

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