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भारत पर 31 अरब डालर का कर्ज बढ़ा

नई दिल्ली | एजेंसी: पिछले वर्ष की तुलना में भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ 7.6 फीसदी बढ़ गया है. गौरतलब है कि भारत का विदेशी कर्ज मार्च, 2014 के आखिर में 440.6 अरब डॉलर रहा, जो मार्च 2013 के आखिर के स्तर के मुकाबले 31.2 अरब डॉलर अधिक है. वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने सालाना प्रकाशन ‘भारत का विदेशी कर्ज : एक स्थिति रिपोर्ट 2013-14’ का 20वां अंक जारी किया है. इस रिपोर्ट में मार्च 2014 के आखिर में भारत के विदेशी कर्ज का विस्तृत विश्लेषण पेश किया गया है, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 30 जून, 2014 को जारी किए गए आंकड़ों पर आधारित है.

भारत पर विदेशी कर्ज बोझ के विश्लेषण के रुख, अवयव एवं कर्ज भुगतान के अलावा रिपोर्ट में अन्य विकासशील देशों की तुलना में भारत के विदेशी कर्ज की तस्वीर पेश की गई है.

रिपोर्ट की खास बातें इस प्रकार हैं-

भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ मार्च 2014 के आखिर में 440.6 अरब डॉलर रहा, जो मार्च 2013 के आखिर के स्तर के मुकाबले 31.2 अरब डॉलर 7.6 फीसदी अधिक है. दीर्घकालिक कर्ज खासकर एनआरआई जमा के चलते ही विदेशी कर्ज में बढ़ोतरी हुई.

एनआरआई जमा में हुई बढ़ोतरी वर्ष के आरंभिक महीनों में कठिन बीओपी हालात से निपटने के लिए सितम्बर-नवम्बर 2013 के दौरान अदला-बदली योजना के तहत जुटाई गई ताजा एफसीएनआर जमा के असर को दर्शाती है.

मार्च 2014 के आखिर में दीर्घकालिक विदेशी कर्ज 351.4 अरब डॉलर था, जो मार्च 2013 के आखिर के स्तर के मुकाबले 12.4 फीसदी अधिक है. इस स्तर पर दीर्घकालिक विदेशी कर्ज मार्च 2014 के आखिर में दर्ज कुल विदेशी कर्ज का 79.7 फीसदी था, जबकि मार्च 2013 के आखिर में यह 76.4 फीसदी था.

अल्पकालिक विदेशी कर्ज मार्च 2014 के आखिर में 89.2 अरब डॉलर था, जो मार्च 2013 के आखिर में दर्ज 96.7 अरब डॉलर के मुकाबले 7.7 फीसदी कम है. कुल मांग में कमी और सोना आयात पर लगाए गए प्रतिबंधों के चलते आयात में कमी की बदौलत यह संभव हो पाया. इस तरह कुल विदेशी कर्ज में अल्पकालिक विदेशी कर्ज का हिस्सा मार्च 2013 के 23.6 फीसदी से घटकर मार्च 2014 के आखिर में 20.3 फीसदी पर आ गया.

सरकारी विदेशी कर्ज मार्च 2014 के आखिर में 81.5 अरब डॉलर रहा, जबकि मार्च 2013 के आखिर में यह 81.7 अरब डॉलर था. कुल विदेशी कर्ज में सरकारी विदेशी ऋण का हिस्सा मार्च 2014 के आखिर में 18.5 फीसदी रहा, जबकि मार्च 2013 के आखिर में यह कहीं ज्यादा 19.9 फीसदी था.

भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ निरंतर काबू में रहा है, जिसका संकेत वर्ष 2013-14 में दर्ज 23.3 फीसदी के विदेशी कर्ज-जीडीपी अनुपात और 5.9 फीसदी के कर्ज अदायगी अनुपात से मिलता है. भारत के विदेशी कर्ज में दीर्घकालिक ऋणों की हिस्सेदारी लगातार ज्यादा रही है.

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