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कश्मीर: सेना ने 76,500 लोगों बचाया

श्रीनगर | एजेंसी: बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर के 76,500 लोगों को सेना ने बचाया है. सेना के इस राहत कार्य में एनडीआरफ ने भी मदद की है. राहत-बचाव कार्य जहां जारी हैं, वहीं अब भी सैकड़ों लोग अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए हैं. हालांकि, बुधवार को नदियों का जलस्तर कम हुआ है. अधिकारियों के अनुसार, बाढ़ में अब तक 215 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.

रक्षा मंत्रालय ने जम्मू में जारी बयान में कहा कि सेना और राष्ट्रीय आपदा बचाव. बल का राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है और 76,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया.

बयान के मुताबिक, सेना ने अपने सैनिकों की 329 टुकड़ियां तैनात की है, जिनमें से 244 श्रीनगर और 85 जम्मू क्षेत्र में तैनात की गई है.

कई लोग श्रीनगर शहर में फंसे हुए हैं, जहां शनिवार देर रात पानी भर गया.

एक शीर्ष अधिकारी ने श्रीनगर में बताया, “बाढ़ के पानी के पूरे तरह उतर जाने और जलमग्न इलाके में हमारे पहुंचने तक हम बाढ़ से हुई मौतों की वास्तविक संख्या नहीं बता सकते.”

अधिकारियों ने बताया कि 76,500 फंसे हुए लोगों को अब तक सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, लेकिन उन्होंने बुधवार को यह भी कहा कि कई लोग अब भी जलमग्न इलाकों में फंसे हो सकते हैं.

झेलम नदी का जलस्तर बुधवार को श्रीनगर और घाटी में हर जगह नीचे हो रहा है.

श्रीनगर का राजबाग, जवाहर नगर, गोगीबाग, बेमिना, मेहजोर नगर, करन नगर और कमरवाड़ी इलाका अब भी जलमग्न है.

पुलिस उप महानिरीक्षक गरीब दास ने बुधवार को कहा, “उधमपुर जिले के पंचौरी इलाके में मंगलवार को हुए भूस्खलन के बाद 31 लोग लापता हैं, इस हादसे में 40 लोगों की जान चली गई थी.”

श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग लगातार सातवें दिन बुधवार को भी बंद है, लेकिन मंगलवार को 440 किलोमीटर लंबे श्रीनगर लेह राजमार्ग पर यातायात बहाल हो गया.

बाढ़ की वजह से कश्मीर घाटी में पेट्रोल और किरासन तेल का संकट गहरा गया है, सभी पेट्रोल पंपों में इसकी कमी बताई जा रही है.

सेना और एनडीआरएफ ने 8,200 कंबल और 650 टेंट प्रभावितों में वितरित किए हैं. सेना ने 150,000 लीटर पेय जेल, 2.6 टन बिस्किट, बच्चों के खाने के सात टन अनाज और भोजन के 28,000 पैकेट वितरित किए हैं.

रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, “चंडीगढ़ और दिल्ली से पानी की अतिरिक्त बोतल हवाई मार्ग से पहुंचाई जा रही हैं. प्रभावित इलाकों में चिकित्सीय सुविधा पहुंचाने के प्रयास के तहत आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज की 80 टीम काम में लगाई गई हैं.”

अब तक सेना और आर्मी एविएशन कॉर्प्स का 79 मालवाहक विमान और हेलीकॉप्टर सेवा में लगाया गया है.

बयान के अनुसार, अस्पताल के 2,000 बिस्तरों के चादर, कंबल और टेंट, पानी की बोतल और भोजन प्रभावित इलाके में पहुंचाए जा रहे हैं.

सेना के हेलीकॉप्टर और विमान ने अब तक 613 फेरे लगाए हैं और वायुसेना ने अब तक 715 टन राहत सामग्री पहुंचाई है.

सेना की 135 नाव और 148 हवा वाली नाव भी राहत कार्य में लगाई गई हैं.

बयान के अनुसार, “अब तक बटोटे-किश्तवाड़ और किश्तवाड़-सिंथान पास के बीच सड़क संपर्क बहाल कर दिया गया है. सिंथान पास और अनंतनाग के बीच कार्य जारी है और जम्मू से केएम 172 हल्के यातयात के लिए खोल दिया गया है. जम्मू-पूंछ मार्ग यातायात के लिए खोल दिया गया है.”

बाढ़ में बचाए गए हर व्यक्ति के पास अपनी-अपनी व्यथा है. उन्होंने बताया कि उनके इलाकों में मदद की गुहार लगाने वाले लोगों की चीख-पुकार शांत हो गई थी, जिसका मतलब यह है कि या तो उनकी मौत हो गई है या फिर उन्होंने खुद को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया.

इस आपदा में संचार व्यवस्था भी प्रभावित हुई है. रेडियो स्टेशन और दूरदर्शन चार दिनों से बंद है.

एयरसेल को छोड़ कर सभी दूरसंचार कंपनी की सेवाएं बाधित हैं.

कई कश्मीरियों का मानना है कि राज्य सरकार आम लोगों तक पहुंचने में नाकाम रही है.

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