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प्रवासी पक्षियों का अवैध शिकार जारी

जशपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में प्रवासी पक्षियों का अवैध शिकार चरम पर है. हिमालय क्षेत्र में पड़ने वाली कड़ाके की सर्दी से बचने सूबे के जशपुर में बड़ी संख्या में मेहमान पक्षी पहुंचे हैं. इसके लिए शिकारी पेड़ों में जाल और रस्सी का फंदा लगाने लगे हैं. दूसरी ओर वन विभाग के अधिकारी इससे पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं. लापरवाही का आलम यह है कि मेहमान पक्षियों के जलक्रीड़ा के लिए प्रसिद्व नीमगांव बांध में भी सुरक्षा का ठोस उपाय नहीं है.

बताया जाता है कि प्रवासी पक्षी साईबेरियन डक्स, मूल निवास क्षेत्र में पड़ने वाली कड़ाके की सर्दी से बचने और जीवन की रक्षा के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा कर जशपुर पहुंचते हैं. यहां नीमगांव जलाशय के आसपास इन पक्षियों का जमावड़ा रहता है.

बड़ी संख्या में ग्रामीण इन्हें देखने यहां जमा होते हैं, वहीं कुछ लोग बड़ी बेदर्दी से इनका शिकार करते हैं. शिकारी चावल के दानों में जहरीला पदार्थ मिला कर जलाशय के किनारों में फैला देते हैं. थक कर पक्षी किनारे आते हैं और चावल खाकर मर जाते हैं या मूर्छित हो जाते हैं. इसके साथ ही जाल फैलाकर भी इन पक्षियों का शिकार किया जाता है.

इलाके के समीर भगत बताते हैं कि शिकारी पेड़ों पर फंदा लगाकर भी पक्षियों का शिकार करते हैं. क्षेत्र से जीवित और मृत पक्षियों की तस्करी की खबरें भी इन दिनों मिल रही है.

बिहार-झारखंड से आने वाले कुछ लोग इन पक्षियों की अच्छी-खासी कीमत देते हैं. मृत पक्षियों से रईसों के घरों को सुशोभित करने के लिए ट्राफी का निर्माण किया जाता है. वहीं जीवित पक्षी के शरीर का उपयोग कथित रूप से औषधि निर्माण में किया जाता है.

प्रवासी पक्षियों ने जिला मुख्यालय समेत आसपास के गावों में पेड़ों पर घोंसला बनाया है. पक्षियों के यही आशियाने शिकार के शौकीनों के निशाने पर हैं. पक्षियों को फंदे में फंसाने के लिए शिकारी इन वृक्षों की टहनियों में नायलोन के रस्सी का प्रयोग कर रहे हैं. जलक्रीड़ा और दाना चुगने के बाद पक्षी अपने घोसले में आते हैं और शिकारियों के फंदे में फंस जाते हैं. इससे पक्षियों की मौत हो जाती है. कुछ पक्षी फंदे में देर तक लटकते रहने की वजह से मौत के शिकार हो जाते हैं.

पक्षियों के जानकार अनुभव शर्मा बताते हैं कि जिले में साईबेरियन डक्स पिछले लगभग पन्द्रह वर्ष से आ रहे हैं. समूह से भटक कर कुछ प्रवासी पक्षियों ने नीमगांव जलाशय में डेरा डाला था. तब से पक्षी प्रत्येक वर्ष शीत ऋतु प्रारंभ होते ही यहां पहुंच जाते हैं.

साईबेरियन डक्स मूलत: ठंडे प्रदेश के निवासी होते हैं. ये मुख्यत: नेपाल, साईबेरिया और हिमालय के तराई वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं. इन क्षेत्रों के दलदली इलाके इन पक्षियों का बसेरा होता है. यहां उन्हें आम दिनों में पर्याप्त मात्रा में भोजन मिल जाता है. लेकिन शीत ऋतु में कड़ाके की ठंड एवं भारी हिमपात से इनके समक्ष आवास एवं भोजन की भीषण समस्या खड़ी हो जाती है. इसलिए ये पक्षी भोजन की तलाश में तथा सर्दी से बचाव के लिए अपेक्षाकृत गर्म क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं.

नीमगांव जलाशय की आदर्श परिस्थितियां इन पक्षियों को सहज ही आकर्षित करती हैं. इस जलाशय के किनारे स्थित दलदल में इन्हें भरपूर भोजन मिलता है वहीं जशपुर का शीतल एवं शांत महौल भी इन्हें खूब भाता है. इसलिए प्रति वर्ष इस जलाशय में आने वाले पक्षियों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है.

प्रवासी पक्षियों की जीवनशैली को निकट से देखना अनूठा अनुभव है. जलक्रीड़ा के दौरान ये अपने साथी का चुनाव करते हैं तथा जनवरी के अंतिम दिनों में मादाएं अंडे देकर उन्हें सेने का कार्य करती हैं. कुछ ही दिनों में इन अंडों से चूजे बाहर आते हैं जिन्हें देखकर कोई भी आनंदित हुए बिना नहीं रह सकता है. अद्भुत दृश्य तो उस समय देखने को मिलता है जब इन बच्चों के छोटे-छोटे पंख निकल आते हैं. इस समय पक्षियों का यह समूह अपने साथ के सभी बच्चों को पानी में तैरने और उड़ने का प्रशिक्षण देते हैं.

इस सम्बन्ध में जशपुर के एसडीओ (वन) जे.आर. बंजारे कहते हैं कि पक्षियों की रखवाली के लिए बांध स्थल पर बीट गार्ड को विशेष तौर से तैनात किया गया है. अब तक विभाग को पक्षियों के शिकार के संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है. शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल, विभाग की सक्रियता का इंतजार पक्षियों के साथ-साथ पक्षी प्रेमियों को भी है.

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