प्रसंगवश

लोकतंत्र का लिटमस टेस्ट- JNU विवाद

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: जेएनयू मामले से संबंधित घटित घटनाओं से देश के लोकतंत्र की परीक्षा हो रही है. पुलिस की उपस्थिति में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में जेएनयू के छात्रों तथा पत्रकारों को वकीलों के एक समूह ने पिटाई कर दी. आमतौर पर अदालतें कानून के अनुसार न्याय करती हैं तथा वकील उसमें दोनों पक्षों का पक्ष रखते हैं परन्तु सोमवार को दिल्ली की इस अदालत के वकील खुद ही हमलावर की भूमिका में नज़र आये. वहीं जेएनयू के छात्रों का समर्थन करने वाले सीपीएम के महासचिव के नाम धमकी भरे फोन आये.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सोच को राष्ट्रहित के विपरीत करार दिया गया. कुलमिलाकर अपने से दिगर सोच रखने वालों की जमकर खबर ली गई. वह भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की राजधानी में. जाहिर है कि देश में लोकतंत्र का लिटमस टेस्ट चल रहा है.

जनता का एक बड़ा हिस्सा मौन होकर सबकुछ देख रहा है. इसका यह कदापि भी अर्थ नहीं है कि जनता कुछ समझ नहीं पा रही है. इतना साफ है कि तिल को ताड़ बनाकर उस मुद्दे पर सबका ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश चल रही है. इस बीच बढ़ते महंगाई, बेरोजगारी के स्थान पर बहस का मुद्दा राष्ट्रवाद बनाम देशद्रोह ने ले लिया है. इस बीच वह घटना गौण हो गई है जो जेएनयू कैंपस में घटित हुई थी. क्या वाकई में देश के खिलाफ नारेबाजी की गई थी, किसने नारे बाजी की थी. क्या किसी छात्रसंघ ने इसकी जिम्मेदारी ली है.

इस घटना की तफ्तीश के बिना राजनैतिक दल आपस में उलझ गये हैं. इस उलझन के बीच वास्तव में भारतीय लोकतंत्र खड़ा है जिसकी परीक्षा हो रही है. जेएनयू के मामले पर सोमवार को कांग्रेस और भाजपा के बीच जमकर शब्दबाण चले. उधर, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में कुछ पत्रकारों और जेएनयू के छात्रों पर वकीलों के एक गुट ने हमला किया.

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि कोई भी नागरिक आतंकवादी की पक्षधरता और देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में राष्ट्र विरोधी नारों को कबूल नहीं सकता.

शाह ने लिखा, “लेकिन, राहुल गांधी और उनकी पार्टी के सहयोगियों ने परिसर में जिस तरह के बयान दिए, उससे साफ है कि इनकी सोच में राष्ट्रहित नहीं है.”

शाह ने सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस नेता ने अपना समर्थन अलगाववादियों को दे दिया है?

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के रुख की अमित शाह द्वारा की गई आलोचना पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा, “जिन्होंने महात्मा गांधी की विचारधारा की हत्या की और जो नाथूराम गोडसे की विचारधारा के वारिस हैं, उन्हें कांग्रेस और देश को देशभक्ति की नई परिभाषा पढ़ाने की जरूरत नहीं है.”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का इतिहास आतंकवाद से लड़ाई का रहा है. पार्टी नेताओं ने देश की एकता और अखंडता के लिए जान की कुर्बानियां दी हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जिस किसी ने भी जेएनयू में गलत हरकत की है, उसे सजा मिलनी चाहिए. लेकिन, “यह बिल्कुल भी सही नहीं है कि मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाला राष्ट्र विरोधी है.”

सुरजेवाला ने कहा, “देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का यही विचार है.”

जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के बाद से जेएनयू में तनाव बना हुआ है. नौ फरवरी की रात संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के सह संस्थापक मकबूल बट को दी गई फांसी की बरसी पर जेएनयू में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था. कहा जा रहा है कि कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगाए गए थे.

दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को देशद्रोह का मामला दर्ज कर कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया. कुमार ने देश विरोधी नारे लगाने से इनकार किया है. कुमार का संबंध भाकपा के छात्र संगठन एआईएसएफ से है.

दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी.एस. बस्सी ने सोमवार को कहा कि कन्हैया कुमार उस मीटिंग में थे जिसमें देश विरोधी नारे लगे थे और कुमार ने खुद देश विरोधी नारे लगाए थे.

कुमार की गिरफ्तारी का विपक्ष द्वारा विरोध जारी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में कहा कि केंद्र सरकार ने कुमार को फंसाया है.

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता प्रकाश करात ने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को यह कहने पर आड़े हाथों लिया कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अफजल गुरु पर हुए कार्यक्रम को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया हाफिज सईद का समर्थन हासिल था.

जेएनयू में करात ने संवाददाताओं से कहा, “गृहमंत्री सूचनाओं के लिए फर्जी ट्विटर हैंडल पर भरोसा करते हैं.”

उन्होंने कहा, “हम उनकी राष्ट्रवाद की परिभाषा को नहीं मानते हैं. अगर वे हमें राष्ट्रविरोधी कहते हैं तो हम इसे सम्मान के बिल्ले की तरह पहनेंगे.”

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में कन्हैया कुमार की पेशी को कवर करने गए कुछ पत्रकारों पर वकीलों के एक गुट ने हमला किया.

आईएएनएस संवाददाता अमिय कुमार कुशवाहा पर अदालत कक्ष के अंदर हमला किया गया, जबकि कुछ अन्य पत्रकारों पर अदालत परिसर में वकीलों के एक गुट ने हमला किया. हमला करने वाला वकीलों का दल भारत माता की जय के नारे लगा रहा था.

इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता आलोक सिंह ने कहा कि अदालत कक्ष के बाहर कुछ पत्रकार खड़े थे. तभी कुछ वकीलों ने जेएनयू के छात्रों पर हमला बोल दिया और वे उन्हें जबरदस्ती अदालत कक्ष से बाहर ले जाने लगे.

उन्होंने कहा, “जब मैं अपने मुख्य संवाददाता को इस घटना की जानकारी दे रहा था, तभी उन्होंने मुझपर हमला बोल दिया. मैं उन्हें बार-बार कह रहा था कि मैं एक पत्रकार हूं और मेरा काम घटना की खबर देना है, लेकिन वे लगातार मुझ पर लात-घूंसे बरसा रहे थे. उन्होंने मेरा मोबाइल छीन कर तोड़ दिया.”

जिन अन्य पत्रकारों पर हमला किया गया, उनमें आईबीएन7 के अमित पांडे और कैराली टीवी के मनु शंकर भी शामिल हैं.

पत्रकारों ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली के विधायक ओ.पी. शर्मा अदालत कक्ष के बाहर जेएनयू के एक छात्र को दौड़ा रहे थे और उसकी पिटाई कर रहे थे.

इस घटना की शुरुआत तब हुई, जब अदालत कक्ष में वकीलों के एक दल ने नारेबाजी की. उन्होंने भारत माता की जय के नारे लगाते हुए जेएनयू छात्रों और पत्रकारों को कक्ष से बाहर जाने को कहा. हालांकि बाहर क्यों जाने को कहा, इसका उन्होंने कोई कारण नहीं बताया.

जेएनयू के कुछ छात्रों ने बताया कि वे भारत माता की जय और जेएनयू को बंद करो के नारे लगा रहे थे.

खास बात यह कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मध्य में स्थित अदालत कक्ष और परिसर में भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद यह हिंसक घटना हुई.(एजेंसी इनपुट के साथ जेके कर)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!