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आकाश से झूलती सफेद चादर है कंचनजंगा

गंगटोक | एजेंसी: सिक्किम का संरक्षक देवता माना जाने वाला पर्वत कंचनजंगा नजदीक से देखने पर आकाश में झूलती सफेद चादर प्रतीत होता है. यहां से सूर्योदय का दर्शन भी मनमोहक होता है.

विश्व में तीसरे सर्वाधिक ऊंचाई वाले कंचनजंगा की 28 पर्वत श्रृंखलाओं के दर्शन के लिए यहां प्रति वर्ष औसतन आठ लाख पर्यटक आते हैं अब सिक्किम सरकार ने आगामी पांच वर्षो में लगभग 15 लाख पर्यटकों को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है.

राज्य के पर्यटन मंत्री भीम डुंगले ने बताया, “इस समय इस पर्वत श्रृंखला के दर्शन करने के लिए वार्षिक औसतन आठ लाख पर्यटक आते हैं तथा आगामी पांच वर्षो में लगभग 15 लाख पर्यटकों को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा गया है.”

डुंगले ने बताया कि राज्य सरकार ने पवित्र चोटियों के दर्शन करने के लिए राजधानी गंगटोक से 15 मिनट की पर्वतीय उड़ान शुरू की है जो कि पर्यटकों की मांग पर उपलब्ध करवाई जाती है.

उन्होंने बताया कि पिछले साल 400 पर्वतीय उड़ानों ने पर्यटकों को पवित्र बर्फीली चोटियों के दर्शन करवाए तथा राज्य सरकार उन दर्शकों की संख्या में बढ़ोतरी कर आगामी पांच सालों में वार्षिक एक हजार उड़ानें सुनिश्चित करेगी. उन्होंने कहा कि मार्च से मई तथा सितंबर से नवंबर के व्यस्त पर्यटन के मौसम के दौरान उन उड़ानों की संख्या निरंतर बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाएगी.

पूर्व का स्विटजरलैंड बनने की क्षमता रखने वाले हिमालयी राज्य सिक्किम की सरकार राज्य में विभिन्न श्रेणी के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सतत प्रयास कर रही है तथा वर्तमान में साहसिक पर्यटकों को ज्यादा विकल्प प्रदान करने पर कदम उठा रही है. सिक्किम के पूरे पर्यटकों में 70 प्रतिशत साहसिक पर्यटक आते हैं. 28169 फीट 86 मीटर ऊंचाई स्थित कंचनजंगा पर्वत भारत में सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला मानी जाती है.

राज्य सरकार ने विशिष्ट स्थलों रावोंग, कालूक, मंगन तथा पोलिंग में पर्यटन उद्योग को विभिन्न सुविधाएं एवं प्रोत्साहन प्रदान करके पर्यटन ढांचे को सुदृढ़ करने की योजना तैयार की है, उन्होंने कहा कि उन विशिष्ठ स्थलों पर कंचनजंगा के सूर्योदय दर्शन के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए बेहतरीन सुविधाएं एवं विश्वस्तरीय पर्यटन ढांचा विकसित किया जाएगा तथा वर्ष 2020 तक एक हजार अतिरिक्त बिस्तर क्षमता का सृजन किया जाएगा.

कंचनजंगा की पांच पवित्र श्रृंखलाओं की पूजा अर्चना के लिए सिक्किम के स्थनीय निवासी हर वर्ष सितंबर माह में गंगटोक तथा रावोंग में तीन दिवसीय पांग-लहावसोल त्योहार का आयोजन करते हैं. डुंगले ने बताया कि राज्य सरकार इस त्योहार को राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करके देश के अन्य हिस्सों के श्रद्धालुओं को आकर्षित करके धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी.

राज्य सरकार कंचनजंगा के आधारबिंदु माने जाने वाले कालुक, ताथी न्यू प्वाइंट मंगन तथा पांग यांग स्थलों पर आधारभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करेगी.

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