बस्तर

नहीं हुआ कवासी लखमा का बयान

जगदलपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम कांड के अहम गवाह कोंटा विधायक कवासी लखमा सोमवार को बयान दर्ज कराने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी के दफ्तर पहुंचे, हालांकि उनका बयान दर्ज नहीं किया जा सका. एनआईए ने लखमा को 22 अगस्त को दोबारा पेश होने के लिए कहा है. लखमा सोमवार को दोपहर 12.0 बजे एनआईए के फॉरेस्ट रेस्ट हाउस स्थित दफ्तर पहुंचे और लगभग एक घंटा वहां रहे.

बताया जा रहा है कि एनआईए एसपी की गैरमौजूदगी की वजह से लखमा का बयान नहीं लिया जा सका. कवासी लखमा जितनी देर एनआईए के दफ्तर में रहे सुरक्षा कड़ी रही व किसी को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई.

लखमा कांग्रेस के काफिले में शामिल थे और घटना के प्रत्यक्षदर्शी हैं. ऐसे में उनका बयान काफी महत्वपूर्ण है. एनआईए के सूत्रों का कहना है कि लखमा जांच में पूरा सहयोग नहीं दे रहे हैं. एनआईए उनका नार्को टेस्ट कराने पर भी विचार कर रही है.

एनआईए के अलावा विशेष न्यायिक आयोग भी झीरम मामले की जांच कर रहा है. 11 जुलाई को आयोग के सामने लखमा ने लगभग दो घंटे के अपने बयान में झीरम कांड से संबंधित कई रहस्यों से पर्दा उठाया था. आयोग ने लखमा के बयान के बाद सरकारी वकील राजीव श्रीवास्तव व विक्रमादित्य झा से प्रतिपरीक्षण करने को कहा लेकिन उस दिन वकीलों ने तैयारी नहीं होने की बात कहकर प्रतिपरीक्षण नहीं किया था.

आयोग की अगली सुनवाई 22 व 23 अगस्त को रखी गई है. इसमें बचे हुए 11 लोगों के बयान दर्ज करने के साथ लखमा के बयान का प्रतिपरीक्षण भी किया जाएगा. विशेष न्यायिक आयोग अब तक इस मामले में 30 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज कर चुका है.

यह है झीरम कांड : 25 मई 2013 को नक्सलियों ने बस्तर के दरभा इलाके की झीरम घाटी में कांग्रेस के काफिले पर हमला किया. घटना में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल व उनके बेटे दिनेश पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार व जगदलपुर के नेता गोपी माधवानी सहित 31 लोगों की जान गई थी.

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