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नेपाल नरेश राजनीति में सक्रिय होंगे?

काठमांडू | समाचार डेस्क: नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र शाह के बयान से उनके राजनीति में सक्रिय होने का संकेत मिल रहा है. अपदस्थ राजा वाकई में राजनीति में सक्रिय होंगे या उन्होंने केवल अपनी राय जाहिर की है यह आने वाले समय के गर्भ में है. अब नेपाल में राजतंत्र के स्थान पर गणतंत्र स्थापित हो गया है. इसलिये यदि अपदस्थ राजा ज्ञानेंद्र शाह राजनीति में सक्रिय होते हैं तो उन्हें एक राजनीतिक दल के माध्यम से अपनी नई यात्रा शुरु करनी पड़ेगी. नेपाल की वर्तमान हालत पर चिंता जाहिर करते हुए अपदस्थ राजा ज्ञानेंद्र शाह ने संकेत दिया है कि वह पुन: राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं. नेपाल के नए साल विक्रम संवत 2073 के शुरू होने से पहले शाह वंश के अंतिम शासक ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहा, “देश को सत्ता के भूखे नेतृत्व से मुक्ति मिलनी चाहिए जिसका ध्यान केवल निजी लाभ पर केंद्रित है. ऐसे नेतृत्व के चलते देश कमजोर हो रहा है.”

उन्होंने कहा कि नेपाल में राज्य की असली अवधारणा कमजोर हुई है जबकि वैश्विक और क्षेत्रीय राजनीति नए युग में प्रवेश करने को है.

ज्ञानेन्द्र ने बयान में जो कहा उससे संकेत मिलता है कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए किसी शक्तिशाली देश का समर्थन मिल गया है.

उन्होंने कहा कि सत्ता के भूखे नेतृत्व और जनता की अपेक्षाओं में कोई मेल नहीं होने से नेपाल के लोग अपना धर्य खो रहे हैं.

अपदस्थ राजा ने कहा कि नेपाल को नया राष्ट्रभक्त नेतृत्व चाहिए जो इसे आत्मनिर्भर बना सके और जिसके लिए नेपाल की संप्रभुता और अस्तित्व प्रमुख चिंता का विषय हो.

2008 में नेपाल के गणतंत्र बनने के बाद ज्ञानेन्द्र ने सिंहासन छोड़ दिया था.

सामान्य तौर पर एकांत जीवन बिताने वाले ज्ञानेन्द्र ने विगत आठ वर्षो में नेपाल के बड़े हिन्दू पर्व दशिन या नव वर्ष को बोलने के लिए चुना है.

उन्होंने देशवासियों को याद दिलाते हुए कहा कि नेपाल में जो कुछ हो रहा है उसके वे दर्शक हो सकते हैं, लेकिन निश्चित रूप से चुप नहीं हैं.

अपदस्थ राजा अक्सर काठमांडू की बाहरी सीमा पर स्थित महल में अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं या विदेश भ्रमण करते हैं.

शाह ने अपने देश के नेतृत्व को दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिकसंवेदनशीलता को ध्यान में रखने की नसीहत दी.

उन्होंने कहा, “नेपाल में गणतंत्र की स्थापना के बाद राजनीतिक नेतृत्व के खिलाफ लोगों की नाराजगी बढ़ी है. देश का नेतृत्व लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रहा है.”

नेपाल के अपदस्थ राजा पहले भी देश के नेतृत्व के खिलाफ इस तरह की नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.

उन्होंने देशवासियों को याद दिलाते हुए कहा कि वह राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं.

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