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लालू ने रोका मोदी का विजय रथ

रायपुर | जेके कर: आखिरकार लालू प्रसाद ने मोदी का विजय रथ बिहार में रोक ही दिया. इससे पहले लालू प्रसाद ने 13 अक्टूबर को लालकृष्ण आडवाणी का रथ समस्तीपुर में रोक दिया था. उल्लेखनीय है कि उस समय भाजपा के अध्यक्ष रहे लालकृष्ण आडवाणी का अयोध्या में 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवा करना प्रस्तावित था. लालकृष्ण आडवाणी ने भाजपा में जान फूंकने के लिये गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिये रथ यात्रा निकाली थी.

जैसे-जैसे आडवाणी का रथ गुजरता गया वैसे-वैसे उन स्थानों में तनाव बढ़ने लगा. उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के सामने चुनौती थी कि लालकृष्ण आडवाणी को रथ को अयोध्या में घुसने से रोका जाये परन्तु यह काम लालू प्रसाद ने कर दिखाया. लालू प्रसाद रातोंरात मीडिया में छा गये.

करीब पच्चीस सालों बाद लालू प्रसाद ने भाजपा के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजयी रथ बिहार में नवंबर 2015 में फिर से रोक दिया है. गौरतलब रहे कि नरेन्द्र मोदी आडवाणी के रथ य़ात्रा में उनके साथ रहे थे.

दरअसल में यदि लालू प्रसाद साथ न होते तो नीतीश कुमार के लिये भाजपा को परास्त करना असंभव सा था.

गौर करने वाली बात है कि तमाम दावों तथा प्रतिदावों के बावजूद भाजपा को इस बिहार विधानसभा के चुनाव में सबसे ज्यादा मत मिले हैं. भाजपा को 93 लाख 08 हजार 015 वैध मत मिले हैं जो कुल पड़े वैध मतों का 24.4 फीसदी है. इसकी तुलना में नीतीश कुमार के जनतादल युनाइटेड को 64 लाख 16 हजार 414 वैध मत मिले हैं जो कि 16.8 फीसदी होता है.

नीतीश कुमार की जीत को लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को मिले 69 लाख 95 हजार 509 वैध मतों ने सुनिश्चित बनाया है. लालू की पार्टी को 18.4 फीसदी मत मिले हैं.

लालू प्रसाद की पार्टी तथा नीतीश कुमार की पार्टी को संयुक्त रूप से 35.2 फीसदी मत मिले हैं.

हालांकि, कांग्रेस को मिले 25 लाख 39 हजार 638 मतों के 6.7 फीसदी को इसमें जोड़ने से लालू-नीतीश-कांग्रेस के गठबंधन को कुल 41.9 फीसदी वैध मत मिले हैं. जिसने महागठबंधन को 178 सीटों में विजय दिलाई है.

वहीं रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी को 18 लाख 40 हजार 834 मत अर्थात् 4.8 फीसदी मत मिले हैं. जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ को 8 लाख 64 हजार 856 वैध मिले हैं. इस पार्टी को 2.3 फीसदी मत मिले हैं. इसके अलावा लोक समता पार्टी को 9 लाख 76 हजार 787 वैध मतों के साथ 2.6 फीसदी मत मिले हैं.

इस तरह से भाजपा गठबंधन को कुल मिलाकर 34.1 फीसदी मत मिले हैं. जाहिर है कांग्रेस को छोड़कर भी लालू-नीतीश की पार्टी को मिले 35.2 फीसदी मत भाजपा गठबंधन से ज्यादा हैं.

इसका यह अर्थ नहीं कि बिहार में कांग्रेस की भूमिका को नकारा जा रहा है.

भाजपा गठबंधन को कुल 58 सीटें मिली है. जिसकी तुलना में लालू-नीतीश की पार्टी को मिले 151 सीटें बहुमत दिलाने के लिये काफी हैं.

चारा घोटाले में दागी होने के बावजूद भी लालू प्रसाद ने बिहार में अपना कारनामा दिखा दिया है.

बिहार में भाजपा गठबंधन की हार ने भारतीय राजनीति को मोदी का विकल्प क्या हो सकता है उसका संकेत दे दिया है. आज की तारीख में देश में भाजपा की टक्कर की कोई दूसरी पार्टी नहीं रह गई है परन्तु यदि उसके खिलाफ विपक्ष अपनी एकता बनाये रखता है तो उसे सफलता मिल सकती है.

देखते हैं आगे उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में क्या होता है उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव के बारें में कयास लगाना बेहतर होगा.

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