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संसद में बाधा से बचे विपक्ष-प्रणव मुखर्जी

नई दिल्ली | संवाददाता: राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि संसद विचार-विमर्श, बहस और असहमति जताने का मंच हैऔर इसकी कार्रवाई में बाधा से ज्यादा नुकसान विपक्ष को ही होता है. वे आज अपने विदाई समारोह में बोल रहे थे.

अपने विदाई भाषण में उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संविधान की रक्षा करने और उसे अक्षुण्ण रखने की पूरी कोशिश की. मैं इस भव्य इमारत से खट्टी-मीठी यादों और इस सुकून के साथ जा रहा हूं कि मैंने इस देश के लोगों की उनके एक सेवक के तौर पर सेवा की.

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उनके व्यक्तित्व का विकास संसद में ही हुआ. एक ऐसा व्यक्ति, जिसके राजनीतिक दृष्टिकोण और व्यक्तित्व को इस लोकतंत्र के मंदिर ने एक नया रूप दिया.

पुराने दिनों को याद करते हुये उन्होंने कहा कि 48 वर्ष पहले 34 वर्ष की आयु में संसद के प्रांगण में पहली बार प्रवेश किया तथा लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य के रूप में 37 वर्षों तक कार्य किया. उन्होंने कहा कि उन दिनों संसद के दोनों सदनों में सामाजिक और वित्तीय विधानों पर जीवंत चर्चाएं और विद्वत्तापूर्ण एवं विस्तृत वाद-विवाद होते थे.

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इस बात का उल्लेख किया कि हाल ही में जीएसटी को पारित किया जाना और 1 जुलाई, 2017 को इसे लागू किया जाना सहकारी संघवाद का जीवंत उदाहरण है और यह बात भारतीय संसद की परिपक्वता का श्रेष्ठ प्रमाण है. प्रणव मुखर्जी ने कहा कि एक महान भारत के उद्भव के क्रमिक रूप से बदलते परिदृश्य को देखने और इसमें भाग लेने का उन्हें विशेष अवसर मिला है. उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक हिस्से को संसद में प्रतिनिधित्व प्राप्त है और प्रत्येक सदस्य के विचार महत्वपूर्ण होते हैं.

उन्होंने कहा कि जब संसद कानून बनाने की अपनी भूमिका में असफल रहती है या चर्चा किए बिना कानून बनाती है, तो यह संसद के प्रति लोगों के विश्वास को खंडित करती है.

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